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देशसेवा के लिए छोड़ दी 1.25 करोड़ की नौकरी...

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वे मिसाल हैं आज की युवा पीढ़ी के लिए जो पैसों और मॉडर्न लाइफ स्टाइल के पीछे भाग रही है। वे युवा जो पैसों के लिए सबकुछ करने को तैयार हैं।

वे विदेश में 1.25 करोड़ की नौकरी छोड़कर देशसेवा में अपना करियर बनाने के लिए आए। उन्होंने अपने पिता की बात को माना, जिन्होंने कहा कि 'तुम्हें अभी लंबी उड़ान भरनी' है।

यह छोटी सी सफलता की कहानी है सिविल सेवा परीक्षा 2013 में टॉप करने वाले गौरव अग्रवाल की। देश की सबसे बड़ी प्रशासनिक सेवा परीक्षा में चार साल बाद किसी पुरुष ने टॉप किया है। गौरव अग्रवाल ने वैकल्पिक विषय अर्थशास्त्र में पहली रैंक पाई है।

सिविल सेवा परीक्षा में बैठने का यह गौरव का दूसरा प्रयास था। जयपुर, राजस्थान के गौरव ने हांगकांग के एक नामी बैंक में साढ़े तीन साल तक एक मोटी सैलरी पर नौकरी की, लेकिन उनका मन विदेश में नहीं लगा और वे वापस भारत लौट आए।

अगले पन्ने पर, क्या है सफलता मंत्र


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गौरव ने आईआईटी कानपुर से कम्प्यूटर साइंस में बैचलर डिग्री हासिल और आईआईएम लखनऊ से मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा किया।

आईएएस की परीक्षा में टॉप रैंकिंग हासिल करने के बाद गौरव ने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि उन्हें टॉप रैंकिंग हासिल होगी।

गौरव ने कहा कि असफलता से निराश नहीं होना चाहिए। हैदराबाद में आईपीएस प्रशिक्षण केंद्र में ट्रेनिंग ले रहे गौरव के मुताबिक जब आईआईटी दाखिले में ऑल इंडिया लेवल पर उन्हें 45वीं रैंकिंग मिली तो उनके पिता ने उन्हें सीख दी कि उन्हें अभी लंबी उड़ान भरनी है। उन्होंने अपने दूसरे प्रयास में लक्ष्य हासिल कर लिया। (एजेंसियां)

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