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डायरेक्ट सेलिंग में अपार संभावनाएँ

हमें फॉलो करें डायरेक्ट सेलिंग में अपार संभावनाएँ
- दीपिका शर्मा

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मार्केटिंग या सेलिंग शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में एक भागदौड़ वाली नौकरी या व्यस्त करियर की छवि उभर कर आती है। ऐसे में यदि बिक्री के क्षेत्र में कम भागदौड़ वाला करियर तलाशना हो, जिसमें उन्नति की संभावनाएँ भी अच्छी हो तो ऐसा नया उभरता क्षेत्र है डायरेक्ट सेल्स (प्रत्यक्ष बिक्री)।

इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन भारत में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग डायरेक्ट सेलिंग का स्वायत्त, विनियामक निकाय है। यह संगठन उद्योग तथा सरकार के नीति निर्माता निकायों के बीच तालमेल बनाने का काम करता है और देश में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग के सरोकारों को उठाता है। आज भारत में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग काफी बढ़ रहा है।

वर्ष 2008-09 में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग का बाजार 17 प्रतिशत बढ़कर 33,300 मिलियन रुका हो गया है। प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग में अलग-अलग क्षेत्रों के योगदान के हिसाब से देखें तो दक्षिण भारत में प्रत्यक्ष बिक्री कंपनियों की सक्रियता सर्वाधिक पाई गई और उसके बाद उत्तर भारत का स्थान है। सेल्स कंसलटेंट के मजबूत आधार की मौजूदगी और प्रत्यक्ष बिक्री की अवधारणा के बारे में अच्छी खासी जागरूकता के चलते ही दक्षिण भारत में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग का आकार बढ़ा है।

प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग की संभावनाओं का भरपूर लाभ उठाने और इसे पारदर्शी बनाने के मकसद से स्वायत्त संगठन इंडियन डायरेक्ट सेलिंग एसोसिएशन (आईडीएसए) ने अर्नेस्ट एंड यंग के सहयोग से भारत के प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग पर आधारित वार्षिक सर्वेक्षण 2008 -09 के नतीजे जारी किए हैं। यदि आँकड़ों की बात करें तो वर्ष 2008-09 में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग का कुल बाजार आकार एक फीसदी बढ़कर 33,300 मिलियन रुपए का हो गया। प्रत्यक्ष बिक्री नेटवर्क से जुड़े सेल्स कंसलटेंटस्‌ के लिहाज से दुनियाभर के 25 प्रमुख देशों में भारत का 11 वाँ स्थान है जबकि प्रत्यक्ष बिक्री से प्राप्त होने वाले राजस्व की दृष्टि से भारत का 23 वाँ स्थान है।

भारत में प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग का आकार 2008-09 में लगभग 33,300 मिलियन रुपए आंका गया जिसमें बीमा क्षेत्र की गतिविधियाँ शामिल नहीं है। इसमें संगठित क्षेत्र का आकार 30,270 मिलियन रुपए है। जबकि असंगठित क्षेत्र का 3,030 मिलियन रुपए है। आईडीएसए की सदस्य कंपनियों ने संगठित क्षेत्रों की ओर राजस्व में कुल 18,840 मिलियन रुपए का योगदान किया। इसी के साथ-साथ सेहत, पोषण, वैलनेस और सप्लीमेंट आदि डायरेक्ट सेलिंग उद्योग में प्रमुख उत्पाद श्रेणी के तौर पर उभरे हैं।

सर्वे में शामिल करीब 42 कंपनियाँ इनकी पेशकश करती हैं और संगठित क्षेत्र के प्रत्यक्ष बिक्री कारोबार से मिलने वाले राजस्व के 32 प्रतिशत हिस्से का योगदान करती हैं। पर्सनल केयर और कॉस्मेटिक्स की पारंपरिक उत्पाद श्रेणियाँ कुल मार्केट के 18 प्रतिशत हिस्से पर संयुक्त रूप से काबिज है और यदि सर्वे में देखें तो 51 फीसदी कंपनियाँ इन श्रेणियों में सक्रिय हैं।

प्रत्यक्ष बिक्री उद्योग अब सारे देश में अपने पाँव पसार चुका है। दक्षिण भारत में प्रत्यक्ष बिक्री कंपनियों की सक्रियता सर्वाधिक पाई गई है। उसके बाद उत्तर भारत का स्थान आता है। सेल्स कंसलटेंट के मजबूत आधार की मौजूदगी और प्रत्यक्ष बिक्री की अवधारणा के बारे में अच्छी खासी जागरूकता के चलते ही

दक्षिण भारत में भी प्रत्यक्ष बिक्री अवधारकों को पसंद किया जाने लगा है। प्रत्यक्ष बिक्री की गतिविधियों से करीब 1.82 लोग बतौर सेल्स कंसलटेंट जुड़े है और इस नेटवर्क के 68 प्रतिशत कार्यबल पर महिलाएँ छाई रहीं। आईडीएसए सदस्य कंपनियों के मामले में लगभग 1.2 मिलियन व्यक्ति सेल्स कंसलटेंट के रूप में संबद्ध हैं।

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