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आज के शुभ मुहूर्त

(आशा द्वितीया)
  • तिथि- वैशाख कृष्ण द्वितीया
  • शुभ समय- 6:00 से 7:30, 12:20 से 3:30, 5:00 से 6:30 तक
  • व्रत/मुहूर्त-आसों दोज, आशा द्वितीया, विश्व मलेरिया जागरूकता दि.
  • राहुकाल-दोप. 1:30 से 3:00 बजे तक
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प्रसंगवश : गौतम बुद्ध और निर्धन बुढ़िया

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* दान की महिमा 
 

 
भगवान बुद्ध का जब पाटलिपुत्र में शुभागमन हुआ, तो हर व्यक्ति अपनी-अपनी सांपत्तिक स्थिति के अनुसार उन्हें उपहार देने की योजना बनाने लगा। 
 
राजा बिंबिसार ने भी कीमती हीरे, मोती और रत्न उन्हें पेश किए। बुद्धदेव ने सबको एक हाथ से सहर्ष स्वीकार किया। इसके बाद मंत्रियों, सेठों, साहूकारों ने अपने-अपने उपहार उन्हें अर्पित किए और बुद्धदेव ने उन सबको एक हाथ से स्वीकार कर लिया। 
 
इतने में एक बुढ़िया लाठी टेकते वहां आई। बुद्धदेव को प्रणाम कर वह बोली, ' भगवन्‌, जिस समय आपके आने का समाचार मुझे मिला, उस समय मैं यह अनार खा रही थी। मेरे पास कोई दूसरी चीज न होने के कारण मैं इस अधखाए फल को ही ले आई हूं। यदि आप मेरी इस तुच्छ भेंट स्वीकार करें, तो मैं अहोभाग्य समझूंगी।' भगवान बुद्ध ने दोनों हाथ सामने कर वह फल ग्रहण किया। 
 
राजा बिंबिसार ने जब यह देखा तो उन्होंने बुद्धदेव से कहा, 'भगवन्‌, क्षमा करें! एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। हम सबने आपको कीमती और बड़े-बड़े उपहार दिए जिन्हें आपने एक हाथ से ग्रहण किया लेकिन इस बुढ़िया द्वारा दिए गए छोटे एवं जूठे फल को आपने दोनों हाथों से ग्रहण किया, ऐसा क्यों?' 
 
यह सुन बुद्धदेव मुस्कराए और बोले, 'राजन्‌! आप सबने अवश्य बहुमूल्य उपहार दिए हैं किंतु यह सब आपकी संपत्ति का दसवां हिस्सा भी नहीं है। आपने यह दान दीनों और गरीबों की भलाई के लिए नहीं किया है इसलिए आपका यह दान 'सात्विक दान' की श्रेणी में नहीं आ सकता। इसके विपरीत इस बुढ़िया ने अपने मुंह का कौर ही मुझे दे डाला है। भले ही यह बुढ़िया निर्धन है लेकिन इसे संपत्ति की कोई लालसा नहीं है। यही कारण है कि इसका दान मैंने खुले हृदय से, दोनों हाथों से स्वीकार किया है।' 

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