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एफटीआईआई के विद्यार्थियों ने अनुपम खेर को लिखा पत्र

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फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) का चेयरमैन फिल्म अभिनेता अनुपम खेर को बना दिया गया है। अनुपम का झुकाव वर्तमान सरकार की ओर है, लेकिन उनकी प्रतिभा पर किसी को शक नहीं है। अनुपम ने गजेन्द्र चौहान की जगह ली है जिनका घोर विरोध हुआ था। विद्यार्थियों ने 139 दिन तक हड़ताल की और विरोध के कई तरीके अपनाए। बहरहाल अनुपम से विद्यार्थियों को ऐसी शिकायतें नहीं हैं जो गजेन्द्र से थी। विद्यार्थियों के एसोसिएशन की ओर से रॉबिन रॉय (अध्यक्ष) और रोहित कुमार (सचिव) ने एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने संस्थान में व्याप्त समस्याओं को विस्तार से लिखा है और आशा की है कि अनुपम इस ओर ध्यान देंगे। इस पत्र के मुख्य बिंदू इस प्रकार हैं: 
 
- एफटीआईआई एक ऐसा संस्थान बनता जा रहा है जो फंड जुटाने में लगा हुआ है। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों को फिल्ममेकिंग के हुनर को सीखाना है, लेकिन कुछ शॉर्ट टर्म्स कोर्स के जरिये पैसा कमाया जा रहा है। 'शॉर्ट कोर्स इन फि‍क्शन राइटिंग फॉर टेलीविजन' नामक 20 दिन के कोर्स के लिए 20 हजार रुपये लिए गए। यह कोर्स ने केवल महंगा है बल्कि 20 दिनों में फिल्ममेकिंग का ज्ञान भी नहीं दिया जा सकता। 
 
- पिछले एक वर्ष में 'ओपन डे', 'फाउंडेशन डे' जैसे इवेंट्स पर भारी रकम खर्च की गई। इनका उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और उपकरणों को खरीदने में किया जा सकता था जो कि विद्यार्थियों के लिए उपयोगी रहता। 
 
- नए सिलेबस को लेकर भी कंफ्यूजन है। एडमिशन के समय इसे दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। 
 
- संस्थान में सप्ताह में पांच दिन कार्य करने का प्रचलन है, लेकिन कई बार लाइट मैन को 6 से 7 दिन तक भी काम करना पड़ता है जिसका भुगतान उन्हें नहीं किया जाता। 
 
- कांट्रेक्ट फैकल्टीज़ को वो अधिकार नहीं मिलते जो परमानेंट फैकल्टीज़ को मिलते हैं। साथ ही उन पर दबाव भी होता है कि किसी भी समय उनका अनुबंध खत्म किया जा सकता है। फैकल्टीज़ और स्टाफ को वेतन भी समय पर नहीं मिलता। कई उदाहरण हैं जब उनका वेतन तीन माह देरी से मिला। साथ ही संस्थान के पास शिक्षकों की कमी है जिसके चलते कई कोर्स को चलाने में व्यवधान उत्पन्न होता है। 
 
- विद्यार्थियों पर दबाव बनाया जाता है कि वे कोर्स को समय पर समाप्त करे, लेकिन उन्हें वो साधन उपलब्ध नहीं कराए जाते जिसके कारण उन्हें प्रोजेक्ट्स करने में देरी होती है। 
 
- फरवरी 2017 में स्टुडेंट्स एसोसिएशन को मेल मिला था कि उन्हें एकेडेमिक्स, सिलेबस, अनुशासन, फी स्ट्रक्चर और एकडेमिक काउंसिल मीटिंग्स में शामिल नहीं किया जाएगा जो कि पूरी तरह गलत है। 

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