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देशभक्ति से लबरेज़ बॉलीवुड फिल्में

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गौरव वर्मा

गणतंत्र दिवस की दस्तक के साथ ही लोगों के अंदर का सोया हुआ भारतीय जागने लगा है। सालभर देशभक्ति की जो लहर तालाबों में उठने वाली तरंगों की तरह खामोशी से सरसराती रहती है, उसके सुनामी के रूप में बदलने का एक वक्त गणतंत्र दिवस भी है। सालभर देशभक्ति के जो गाने लोगों की प्ले लिस्ट में नजरअंदाज होते आए हैं, उन्हें भी अब लोगों के बीच बजने का मौका मिलेगा।
 
इस दौरान जो टीवी चैनल्स पूरे साल फूहड़ता परोसते आए हैं, वे भी गणतंत्र दिवस के दिन देशभक्ति की फिल्में दिखाकर खानापूर्ति करते नजर आएंगे। आखिर फिल्में ही तो हैं जिनके जरिए आम आदमी देशभक्ति की भावना महसूस कर लेता है। देशभक्ति के इस फॉर्मूले को सिनेमा जगत हमेशा से ही भुनाता आया है, हालांकि समय के साथ-साथ इसके तरीके में थोड़े बदलाव आते रहे हैं।
 
ऐसा नहीं है कि हमेशा से ही फिल्मों में देशभक्ति को केवल एक तड़के की तरह इस्तेमाल किया गया है, लेकिन मौजूदा समय की सच्चाई तो यही है। किसी समय में फिल्में या इन फिल्मों के गाने लोगों के बीच देशभक्ति का पर्याय हुआ करते थे। आजादी के पहले साल 1943 में एक फिल्म आई थी 'किस्मत'। इसका गाना 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है' लोगों के बीच अंग्रेजों के विरोध का चेहरा बन गया था। उस समय भारत की फिल्मों को ब्रिटिश सेंसर बोर्ड की मंजूरी के साथ ही रिलीज किया जाता था, ऐसे में ब्रिटिश अफसरों के कमजोर भाषायी ज्ञान के चलते किसी तरह इस फिल्म के गाने को मंजूरी मिल गई। गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन के कुछ महीनों बाद आई यह फिल्म अपने इस गाने की वजह से अमर हो गई।
 
आज के दौर में वैसा गाना या फिल्में बन पाना थोड़ा मुश्किल लगता है, शायद सिनेमा जगत के चेहरे पर लगा मुखौटा इसकी वजह है। आज फिल्में विषयों पर नहीं, बल्कि अभिनेताओं को केंद्र में रखकर बनाई जाती हैं। ये फिल्में सफल भी हो जाती हैं, शायद इसीलिए निर्माता विषय की ओर अधिक ध्यान नहीं देते। कुछ निर्माता व निर्देशक इस मुखौटे को उतारने में लगे हुए हैं, उम्मीद है कि उन्हें सफलता मिल जाए।
 
फिल्मों में किस तरह देशभक्ति अलग-अलग अंदाज में परोसी जाती रही है, इसे कुछ बेहतरीन फिल्मों के उदाहरण से समझा जा सकता है। आइए देखते हैं भारतीय सिनेमा में देशभक्ति के ये अलग-अलग प्रकार-
 
व्यक्ति विशेष फिल्में-
 
1. शहीद (1965)
मनोज कुमार अभिनीत यह फिल्म शहीद-ए-आजम भगतसिंह की जीवनी पर आधारित है। साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के साये में आई इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म के नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा गया था। यह भगतसिंह पर बनने वाली पहली फीचर फिल्म थी। इसके बाद भगतसिंह पर और भी कई फिल्में बनीं जिसमें अजय देवगन की साल 2002 में आई 'द लीजेंड ऑफ भगतसिंह' उल्लेखनीय है।
 
2. गांधी (1982)
यह भारत का दुर्भाग्य ही है कि देश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बापू के जीवन पर बनी अब तक की सर्वश्रेष्ठ फिल्म विदेशियों ने बनाई। इसे गांधीजी की महानता का परिणाम भी कह सकते हैं कि विदेशी उनके व्यक्तित्व के ऐसे मुरीद हुए कि फिल्म ही बना दी। हालांकि इस फिल्म के निर्माण में भारतीय सरकार व कलाकारों का भी सहयोग रहा था, लेकिन फिल्म के लेखन व निर्देशन से लेकर मुख्य किरदार निभाने तक का जिम्मा विदेशियों ने निभाया। 
 
आपको जानकर शायद थोड़ी हैरानी हो, पर यह फिल्म कुल 11 श्रेणियों में ऑस्कर पाने के लिए नामांकित हुई थी जिसमें श्रेष्ठ फिल्म, निर्देशन व अभिनय समेत 8 श्रेणियों में यह ऑस्कर जीतने में कामयाब भी रही। ऑस्कर के अलावा भी फिल्म ने लगभग सभी राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय अवॉर्ड समारोह में अधिकतर खिताब अपने नाम किए हैं।
 
3. नेताजी सुभाष चन्द्र बोस : द फॉरगॉटन हीरो (2004)
भारत की आजादी की सूत्रधार रहीं महान हस्तियों में से शायद सबसे कम चर्चा नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के बारे में ही की जाती है। आजाद हिन्द फौज के जरिए अंग्रेजों के पसीने छुड़ा देने वाले नेताजी के ऊपर साल 2004 में यह फिल्म श्याम बेनेगल के निर्देशन में बनी है। यह फिल्म चर्चा में अधिक नहीं रही, लेकिन इसने काफी सराहना जरूर बटोरी। कई अन्य दमदार फिल्मों की तरह यह भी बॉक्स ऑफिस में फ्लॉप ही रही, लेकिन 2 श्रेणियों में मिले नेशनल अवॉर्ड से इसकी पूर्ति हो जाती है।
 
4. मंगल पांडे : द राइजिंग (2005)
साल 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ भड़की क्रांति के मुख्य नायक मंगल पांडे पर बनी यह इकलौती फिल्म है जिसे निर्देशक केतन मेहता ने आमिर खान को मुख्य भूमिका में लेकर बनाया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस में कुछ खास कमाल तो नहीं दिखा पाई, लेकिन इतिहास से मुंह मोड़ चुके हमारे युवाओं को 1857 की क्रांति से रूबरू होने के लिए यह फिल्म देख लेनी चाहिए।
 
5. सरदार (1993)
यह फिल्म आजादी के बाद अखंड भारत का निर्माण करने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जीवन पर आधारित है। इसमें आपको परेश रावल का शानदार अभिनय भी देखने को मिलेगा। फिल्म को आलोचकों के द्वारा काफी सराहा गया था। फिल्म में सरदारजी के द्वारा देश की आजादी से लेकर गांधीजी की मौत के बाद नेहरू के साथ उनके मतभेद तक को काफी अच्छे से दर्शाया गया है।
 
यदि इस गणतंत्र दिवस आप भी अपनी देशभक्ति ढूंढने के लिए फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो यह एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।
 
6. झांसी की रानी (1953)
हमारे देश के इतिहास को यदि उठाकर देखा जाए तो रानी लक्ष्मीबाई के अलावा भी कई वीरांगनाएं हैं, जो अपनी वीरता व देशप्रेम के चलते अमर हो गईं। दुर्भाग्य यह है कि दुनिया की कुछ सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्रियों में शामिल बॉलीवुड ने कभी इनकी कहानी लोगों तक लाने की जहमत नहीं उठाई, शायद इसमें फायदा थोड़ा कम था।
 
साल 1953 में निर्देशक व अभिनेता सोहराब मोदी ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कहानी लोगों के सामने पेश की। अब दशकों बाद एक बार फिर कंगना रनौट फिल्म 'मणिकर्णिका' में रानी लक्ष्मीबाई का किरदार निभाते दिखेंगी।
 
इस तरह देश को आजादी दिलाने वाले हमारे नायकों के ऊपर कुछ उल्लेखनीय फिल्में भी बनी हैं। शायद आने वाले समय में कुछ और बनें, लेकिन अतिशयोक्ति देखने के आदी हो चुके दर्शकों को सच्ची कहानियां कितनी पसंद आएंगी, पता नहीं।

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युद्ध पर आधारित फिल्में-
देशभक्ति को हमेशा ही युद्ध से जोड़कर देखा जाता रहा है। ऐसा सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि तमाम देशों में होता आया है। भारत में खासतौर पर भारत-पाक युद्ध को देशभक्ति से जोड़ा जाता रहा है। इन लड़ाइयों में दुश्मनों को धूल चटाते हुए देखना किसी भी भारतीय के लिए गर्व की ही बात होगी, यह बात फिल्म निर्माता भी अच्छी तरह जानते हैं। आइए युद्ध पर आधारित ऐसी ही कुछ फिल्मों पर एक नजर डालते हैं-
 
1. हकीकत (1964)
चेतन आनंद द्वारा निर्देशित इस फिल्म में बलराज साहनी, धर्मेन्द्र मुख्य भूमिका में नजर आए थे। यह फिल्म साल 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध पर आधारित है। फिल्म को भारत में बनी सबसे बेहतरीन युद्ध फिल्म भी माना जाता है। साल 1965 में इसे नेशनल अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। इस श्रेणी की फिल्में पसंद करने वालों को यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए।
 
2. बॉर्डर (1997)
जेपी दत्ता की बनाई गई यह फिल्म युद्ध पर आधारित सबसे लोकप्रिय भारतीय फिल्म कही जा सकती है। यह भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग के समय की सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म के गानों से लेकर भारतीय सैनिकों की वीरता के दृश्यों तक सबकुछ आज भी दर्शकों द्वारा पसंद किया जाता है।
 
3. 1971 (2007)
मनोज बाजपेयी व रवि किशन जैसे दमदार अभिनेताओं से सजी यह फिल्म भी 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है। यह फिल्म सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी है। फिल्म की कहानी 1971 की जंग में पाकिस्तानी आर्मी के द्वारा कैदी बना लिए गए 6 भारतीय सैनिकों के बच निकलने पर आधारित है। यदि इस गणतंत्र दिवस आप कोई दमदार फिल्म देखने के इच्छुक हैं तो इस फिल्म के मजे ले सकते हैं।
 
4. लक्ष्य (2004)
साल 1999 में भारत-पाक के बीच हुए कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में रितिक रोशन, प्रीति जिंटा एवं अमिताभ बच्चन मुख्य किरदार में नजर आए थे। फिल्म का निर्देशन फरहान अख्तर ने किया था। इसे भी युद्ध पर आधारित एक अच्छी फिल्म कहा जा सकता है। इन फिल्मों के अलावा और भी कई ऐसी फिल्में हैं जिनमें 'एलओसी' व 'मां तुझे सलाम' जैसी फिल्मों के नाम आते हैं, लेकिन ये लचर फिल्में हैं। 
 
आइए अब देशभक्ति फिल्मों की अगली श्रेणी की ओर आगे बढ़ते हैं।
 
खेल पर आधारित फिल्में-
पिछले कुछ समय से देशभक्ति को खेल के साथ जोड़कर दिखाने का नया दौर शुरू हुआ है। जंग के मैदान में नहीं, तो खेल के मैदान में दुश्मनों को धूल चटाते देखना भारतीय दर्शकों को भी खूब भाता है तभी तो इस श्रेणी की फिल्में ब्लॉकबस्टर साबित होती हैं।
 
1. चक दे इंडिया (2007)
इस श्रेणी की देशभक्ति फिल्मों को जोर मिला 2007 में आई शाहरुख खान की फिल्म 'चक दे इंडिया' से। इस फिल्म में शाहरुख ने महिला हॉकी टीम के प्रशिक्षक का किरदार निभाया है जिसके मार्गदर्शन में भारतीय महिला हॉकी टीम पहली बार विश्व चैंपियनशिप जीतने में सफल हो पाती है। यह फिल्म इतनी ज्यादा पसंद की गई कि इसका गाना 'चक दे' देशभक्ति का पर्याय बन बैठा। खेल के मैदान में यदि भारतीय टीम उतरी हो तो इस गाने का बजना अनिवार्य-सा हो गया है।
 
2. भाग मिल्खा भाग (2013)
इस फिल्म में खेल व भारत-पाक जंग इन दोनों ही मुद्दों का इस्तेमाल किया गया है। यह 'फ्लाइंग सिख' के नाम से मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह की जीवनी पर आधारित फिल्म है जिसे खूबसूरती से भारत-पाक का चोगा भी पहनाया गया है। फिल्म को दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया गया था। वजह है मिल्खा सिंह द्वारा पाकिस्तानी सरजमीं पर पाकिस्तान के खिलाड़ी को हराना।
 
3. मैरीकॉम (2014)
चक दे... व भाग मिल्खा भाग की सफलता के बाद 2014 में भारत की महिला मुक्केबाज व ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुकी मैरीकॉम की जिंदगी पर फिल्म बनाई गई। इसमें प्रियंका चोपड़ा मुख्य किरदार में नजर आई थीं। इस फिल्म में मैरीकॉम के करियर का सुनहरा दौर, बॉक्सिंग से दूरी और फिर वापसी की पूरी कहानी बताई गई है।
 
4. दंगल (2016)
कुछ वक्त पहले आई इस ब्लॉकबस्टर फिल्म से तो आप सभी भली-भांति ही परिचित होंगे। आमिर खान व साक्षी तंवर के साथ ही इसमें जायरा वसीम व फातिमा सना शेख का शानदार अभिनय भी है। इस फिल्म में भारत की दो अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवानों गीता फोगाट व बबीता फोगाट की कहानी पेश की गई है। हरियाणा के छोटे से गांव से निकलकर अपने पिता के मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय खेल जगत में अपना नाम बनाने वाली गीता व बबीता की कहानी में कई जगह देशभक्ति का तड़का लगाकर पेश किया गया है।
 
खेल पर आधारित फिल्मों के अलावा देशभक्ति से जुड़ीं फिल्मों की एक अहम श्रेणी और भी है जिसे आप समाज के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण भी मान सकते हैं। आइए इस श्रेणी पर भी एक नजर डाल लेते हैं।
 
सामाजिक मुद्दों व देश की अंदरुनी समस्याओं पर आधारित फिल्में-
यह श्रेणी महत्वपूर्ण इसीलिए है, क्योंकि इनमें देशभक्ति को इतिहास की घटनाओं से न जोड़ते हुए अच्छे भविष्य के निर्माण में आने वाली समस्याओं से जोड़कर दिखाया गया है। इस श्रेणी की कुछ अहम फिल्में हैं-
 
1. स्वदेस (2004)
इस फिल्म में विदेश से अपने गांव वापस आए एक युवक की कहानी दिखाई गई है, जो वापस विदेश जाने के बजाए अपने देश व गांव के उद्धार के लिए काम करता है। फिल्म के हिट गाने व शाहरुख खान का बेजोड़ अभिनय इसे और भी खास बना देते हैं।
 
2. रंग दे बसंती (2006)
आमिर खान, शरमन जोशी, कुणाल कपूर, आर. माधवन व सोहा अली खान जैसे दमदार अभिनेताओं ने राकेश ओमप्रकाश मेहरा के निर्देशन में बनी इस फिल्म में अंग्रेजों से आजादी के बाद भ्रष्टाचार जैसी बुराइयों से आजादी के खिलाफ क्रांतिकारी लड़ाई को दर्शाया है।
 
3. ए वेडनेसडे (2008)
नीरज पांडेय के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बॉलीवुड के दो दिग्गज अभिनेताओं अनुपम खेर व नसीरुद्दीन शाह के साथ ही जिमी शेरगिल व दीपल शॉ का बेहतरीन अभिनय भी है। फिल्म में एक आम आदमी की ताकत दिखाते हुए यह संदेश दिया गया है कि यदि आम आदमी चाहे तो अन्य मुद्दों समेत आतंकवाद जैसे बड़े खतरे का सफाया भी कर सकता है।
 
4. प्रहार (1991)
नाना पाटेकर, माधुरी दीक्षित व डिम्पल कपाड़िया अभिनीत इस फिल्म का निर्देशन नाना पाटेकर द्वारा ही किया गया है। देश के जवान सीमा में तैनात होकर बाहरी दुश्मनों से देश की रक्षा करते हैं, लेकिन देश के अंदरुनी दुश्मन इसे खोखला करते जा रहे हैं। इसी सच्चाई के इर्द-गिर्द फिल्म की कहानी घूमती है। इसमें नाना पाटेकर ने एक सैनिक की भूमिका निभाई है।
 
ये तो चंद फिल्में मात्र थीं। यदि विस्तार से देखा जाए तो ऐसी कई फिल्में हैं जिनमें सामाजिक बुराइयों को खुलकर दर्शाया गया है। इन फिल्मों के अलावा और भी कई फिल्में हैं जिनमें आपको देशभक्ति का रंग देखने को मिल जाएगा। पिछले कुछ समय में आई अक्षय कुमार की फिल्मों में भी आपको एक तरह की देशभक्ति नजर आ जाएगी। इनमें बेबी, हॉलिडे, एयरलिफ्ट जैसी फिल्में शामिल हैं। इसके अलावा हीरो द्वारा देश के दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई की फिल्मों में भी आप देशभक्ति का महिमामंडन होते देख सकते हैं। इन दिनों ऐसी फिल्मों का चलन काफी बढ़-सा गया है। 'एक था टाइगर' व 'टाइगर जिंदा है' इसी तरह की कुछ फिल्मों के उदाहरण हैं।
 
मनोज कुमार ने भी क्रांति, पूरब पश्चिम जैसी फिल्में बनाई थीं जो सफल रही थीं, लेकिन इन फिल्मों में देशभक्ति को फॉर्मूला बना कर भुनाया गया था। 
 
गणतंत्र दिवस के दिन देशभक्ति की ये फिल्में देखकर यदि आपके अंदर का भारतीय जाग उठता है तो हमारा निवेदन है कि कृपया हर सप्ताह इस तरह की फिल्में देखना शुरू कर दें, शायद देश का थोड़ा भला हो जाए।

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