Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

खिचड़ी धारावाहिक ने मुझे परेशान कर दिया था : सना कपूर

हमें फॉलो करें खिचड़ी धारावाहिक ने मुझे परेशान कर दिया था : सना कपूर

रूना आशीष

"खिचड़ी धारावाहिक भले ही लोगों के लिए बहुत अच्छा सीरियल हो, लेकिन इस शो ने मुझे परेशान करके रख दिया था। मैं सातवीं में पढ़ती थी तब खिचड़ी सारियल इतना प्रसिद्ध हुआ और तब जा कर लोगों को पता चला कि मेरी मां कौन है। परेशानी तो तब बढ़ी जब सारे क्लास वाले मुझे कहते थे ऐ हंसा जैसे बोल कर दिखा। मेरी टीचर मुझसे कहती थी कि वार्षिक दिवस पर होने वाले कार्यक्रम में तुम हंसा बन जाओ और मैं चिढ़ जाती थी कि मैं कैसे हंसा बनूं? वे तो मेरी मां हैं। वो रोल मैं कैसे कर सकती हूं?"
 
पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक की बेटी सना कपूर को यूं तो अपनी मां के बारे में बोलते रहना पसंद है, लेकिन वो उम्र के उस दौर से गुज़र चुकी हैं जब उनकी मां का हंसा वाला किरदार उन्हें गले की फांस सा लगने लगा था। पहली फिल्म 'शानदार' के बाद सना अब नई फिल्म खजूर में अटके में नज़र आने वाली हैं। उनसे उनकी फिल्म, उनकी मां, पिता और नानी के बारे में बात कर रही हैं वेबदुनिया संवाददाता रूना आशीष। 
 
अपनी मां की बातों के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए सना कहती हैं कि मेरे स्कूल के दोस्तों की बात मानते हुए मैं अपनी ही मां की कैसे कॉपी कर सकती हूं? वे तो ग़ज़ब की कलाकार हैं। उस समय कुछ बड़े लोग मेरे पास आते थे और कहते थे कि हमें बहुत बुरा लगा ये जान कर कि तुम्हारी मां कुछ नहीं करती या उन्हें खाना बनाना नहीं आता, और मैं कहती रह जाती थी कि मेरी मां सुपरवुमन थी और वो सुपरवुमन हैं। वे हमारे लिए स्वादिष्ट खाना बनाती हैं और टिफिन की सारी ज़िम्मेदारी उठाती हैं। काम के साथ हमारा ध्यान भी रखती हैं। उनका कोई जवाब नहीं। 
 
इस बार की हंसा को कैसी प्रतिक्रियाएं मिलीं?
मेरे कई दोस्तों ने शो शुरू होने के पहले कहा कि काश ऐसा हो कि पारिख परिवार कभी ना बदले और ऐसा ही हुआ भी। मुझे भी अच्छा लगा कि ये वही प्यारी-सी, पागल पारिख फैमेली है जिसे हम सब लोग देख कर बड़े हुए हैं। 
 
आपको अपनी नानी दीना पाठक कितनी याद हैं? 
मैं शायद तीसरी कक्षा में थी जब उनका निधन हुआ था, लेकिन मुझे वो बहुत याद आती है। मैं बहुत शर्मीली और अंतर्मुखी किस्म की लड़की थी। फिर मेरे दो छोटे भाई थे जो मुझ पर दादागिरी करते रहते थे। अगर नानी नहीं होती तो शायद मैं राजकुमारियों जैली पली-बढ़ी होती, लेकिन उन्होंने मुझे मज़बूत बनाया। वे तो खुद हमारे देश की आज़ादी के लिए लड़ी हैं और बहुत बड़ी फेमिनिस्ट रही हैं। वे मुझे हमेशा कहती थीं कि लड़की अगर सोच ले तो सब कुछ कर सकती हैं। 
 
आपकी मम्मा कैसी हैं? 
वो बहुत स्ट्रिक्ट हैं, लेकिन मेरे सारे नखरे भी उठाती हैं। मुझे अभी भी याद है कि जब मैं छोटी थी तो मम्मा और पापा चंदन सिनेमाहॉल में बॉक्स सिटिंग बुक करते थे और साथ में सूटकेस ले कर जाते थे। हीरोइन के गाने या जो सीन हुआ करता था मैं वैसे कपड़े बदल-बदल कर पहनती थी। वैसे गाने गाती और एक्टिंग करती थी। मेरी मां ने मुझे ये सब करने दिया है। सूटकेस में मेरी मां को वो सारे कॉस्ट्यूम्स सिला कर अपने साथ उठा कर ले जाने पड़ते थे। 
 
तो डांटता कौन है पापा या मम्मा? 
पापा तो बस एक नज़र उठा कर देख लेते हैं तो समझ जाती हूं कि हमने गड़बड़ कर दी है वरना मम्मा मुझ पर बरसती रहती हैं। चिल्लाती रहती हैं कि क्या खाऊं? कैसे मेकअप करूं? क्या पहनूं जो कैमरा पर अच्छा लगूं। 
 
अपने पापा, मम्मा और नानी की कौनसी फिल्म आप करना चाहेंगी? 
पापा की मकबूल और एक डॉक्टर की मौत मुझे पसंद है। मम्मा की फिल्म बाज़ार मे मैं काम करना चाहूंगी और नानी की फिल्म खूबसूरत मुझे बहुत पसंद है। 
 
फिल्म खजूर में अटके में सना, मनोज पाहवा और विनय पाठक के साथ नज़र आने वाली हैं। यह फिल्म 18 मई को रिलीज़ हो रही है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राखी और समय के बीच में मेघना गुलज़ार