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फिल्मों में निगेटिव किरदार निभाने पर राज अर्जुन बोले- जल्दबाजी में कभी भी कैरेक्टर को जज नहीं करना चाहिए

बॉलीवुड की कई फिल्मों में निगेटिव किरदार निभाने वाले एक्टर राज अर्जुन ने वेबदुनिया से खास बातचीत की

हमें फॉलो करें फिल्मों में निगेटिव किरदार निभाने पर राज अर्जुन बोले- जल्दबाजी में कभी भी कैरेक्टर को जज नहीं करना चाहिए

रूना आशीष

, शनिवार, 27 अप्रैल 2024 (16:43 IST)
Raj Arjun Interview: मुझे ऐसा लगता है कि मुझे किसी भी रोल के लिए चुना इसलिए जाता है कि हर किरदार की अपनी एक मांग होती है। कोई किरदार अगर किसी फिल्म में है चाहे नेगेटिव रोल ही क्यों ना हो मुझे अच्छा लगता है कि उस रोल में मैं उस व्यक्ति का कैरेक्टर दिखाऊं। उसके अंदर क्या पीड़ा है और किस ट्रामा से वह गुजर कर इतना निगेटिव बना है। यह दिखाने की मैं कोशिश करता हूं। 
 
आज के समय में शायद इसी तरह के किरदारों और एक्टरों को ढूंढा जा रहा है और यह भी वजह हो सकती है कि मेरे पास बड़े अनोखे अनोखे किस्म के किरदार आते हैं। चाहे वह सीक्रेट सुपरस्टार का गुस्सैल पिता हो। या फिर आर्टिकल 370 का सरकारी ऑफिसर हो। यह कहना है राज अर्जुन का जो कि कई फिल्मों में अपने बेहतरीन अभिनय की वजह से सारे ही किरदारों में अलग सी चमक रखते हुए लोगों को याद रह जाते हैं। 
 
हाल ही में वह रजाकार फिल्म में नजर आए हैं। राज अर्जुन ने वेबदुनिया से रजाकार, सीक्रेट सुपरस्टार और अपनी कई फिल्मों के बारे में बातचीत की और साथ ही उनकी बेटी सारा के बारे में भी खुलकर बातें कहीं। राज अपनी बातों को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, मैं अगर यह कहूं कि मुझे कोई रोल मिलता है एक दो महीने की मेहनत होती है और उसके बाद हम शूट करना शुरू कर देते हैं तो यह पूरी तरह से सही नहीं है। 
 
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राज ने कहा, एक्टिंग इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप की पैदाइश कहां की है। आप किस परिवेश में पल बढ़कर यहां तक पहुंचे हैं और आपने अपनी जिंदगी में क्या-क्या अनुभव लिए हैं। किन-किन बातों से आप गुजरे हैं और इन सब बातों का असर आपके एक्टिंग पर जरूर आता है। ऐसे में अगर आपने थिएटर कर लिया तो सोने पर सुहागा ही हो गया, क्योंकि थिएटर ही है जो आपको सिखाता है कि किसी भी कैरेक्टर की जिंदगी का हिस्सा कैसे बने? उस करैक्टर की बातों को कितना छूना है, कितना छोड़ देना है और कहां पर यह मान लेना है कि इससे ज्यादा एक्टिंग नहीं लानी है। नहीं तो वह ओवर लगने लग जाएगा। 
 
इसके बाद फिर बहुत सारी चीज है। आपकी खुद की सोच पर भी निर्भर करती है। कई बार प्रोड्यूसर ऐसी कहानी आपके सामने लेकर आ जाते हैं जो एकदम ही फिक्शन हो तब आपको फिल्मों की जो स्क्रिप्ट है, उसके अंदर से अपने पॉइंट निकालकर कैरेक्टर को बनाना होता है और अगर फिल्म जैसे कि रजाकार जैसी फिल्म रही हो जिसमें लोगों को थोड़ा बहुत मालूम है तो थोड़ी सी पढ़ाई करनी पड़ती है।
 
एक तरफ तो आप रजाकार में कासिम रिजवी जैसे क्रूर व्यक्ति का रोल निभाते हैं फिर सीक्रेट सुपरस्टार मैं आप एक बड़े ही बददिमाग पिता है इन सबसे परे टीवी पर साईं बाबा का रोल निभाते हैं तो इतने अलग-अलग किरदार को देखकर आपकी बेटी जो खुद एक एक्ट्रेस है, उसकी तरफ से कभी कोई बात कही जाती है।
वह मेरे इतने सारे रोल्स को देखकर बहुत खुश हो जाती है। मैंने उसको बचपन से यह सिखाया है कि चाहे निगेटिव किरदार हो, चाहे पॉजिटिव किरदार हो, वह एक व्यक्ति ही है अंत में। इतनी जल्दबाजी में कभी भी अपने कैरेक्टर को जज नहीं करना चाहिए। वह दुनिया भर के लिए भले ही एक खराब इंसान होगा, लेकिन वह खुद की नजर में किसी हीरो से कम नहीं होगा। अगर किसी चोर से पूछे चोरी क्यों कर रहा है गलत इंसान है तू तो चोर कहेगा मैं चोरी नहीं करता तो घर नहीं चलता। 
 
अगर मुझे 10 लोगों को मारना है और मैं शुरुआत से यह सोचने लगूं कि मैं तो गलत इंसान हूं। तो फिर तो कैमरा में नजर ही नहीं आएगा वह कॉन्फिडेंस और वह दृढ़ता कि मैं इस कैरेक्टर को निभा सकता हूं। मिसाल के तौर पर सीक्रेट सुपरस्टार कि मैं बात करता हूं। यह वह पिता है जो अपनी बेटी से भी नफरत करता है और अपनी पत्नी से भी। वह पत्नी जो इतनी सुंदर भी है, सारा काम करती रहती है। कुछ नहीं कहती है, उससे भी नफरत करता है और जो बिटिया है, वह तो इतनी टैलेंटेड है, उससे भी नफरत करता है। वह सिर्फ एक बड़ी आपा है जिन से अच्छे से बात करता है। 
 
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अब मैं सोच में पड़ गया कि इस कैरेक्टर में ऐसा क्या है जो इसको इतना क्रूर बनाता है। इसकी क्या कोई बैकस्टोरी होगी तो फिर मैंने सोचा कि चलो हो सकता है। यह महिलाओं से नफरत करता है। इसलिए अपनी पत्नी और अपनी बच्ची से नफरत करता है। फिर कहीं ऐसा तो नहीं हुआ होगा कि इसके पिता ने दो-तीन शादियां कर ली होंगी और पिता ने इसे बेसहारा छोड़ दिया होगा। तब बड़ी आपा ने इसे अपने पास लिया होगा और मुझे मेरी बैक स्टोरी मिल गई।
 
कोई भी व्यक्ति पूरी दुनिया के लिए कितना भी बूढ़ा हो जाए, लेकिन जो व्यक्ति उसे सहारा देता है वह उसके लिए हमेशा बहुत विनम्र और बहुत प्यार और सम्मान अपने दिल में रखेगा। अपने आप को फिर यह जस्टिफिकेशन दिया और फिर सोचा कि इसी बड़ी आपा को अब मैं अपने घर में रख लूंगा और प्यार करूंगा। लेकिन पत्नी और बच्ची से कोई मोह नहीं होता है।
 
राज अपनी बातों को जारी रखते हुए कहते हैं कि रजाकार की अगर मैं बात करता हूं तो मैं नरसंहार करने वाला शख्स बना हूं। फिल्म की शुरुआत में ही यह दिखाया गया है और मैं खुद बतौर एक्टर और बतौर व्यक्ति यह सोचने बैठ गया कि कोई व्यक्ति क्या इतना नरसंहार कर भी सकता है। क्या वह सोच भी सकता है? अब मुझे इस नरसंहार के लिए उन एक्सप्रेशन को देने के लिए अपने आप को एक जस्टिफिकेशन देना था। 
 
तब मैंने सोचा क्यों ना ऐसा किया जाए किए जो कासिम रिजवी है यह ऐसा सोचता है कि जो व्यक्ति उसके खिलाफ जाएगा वह उसे खत्म कर देगा और उस व्यक्ति का खून-खून देगा तब जाकर उसे शांति होगी। पर ऐसा नहीं है कि वह इस नरसंहार को किसी एक गांव से दूसरे गांव तक लेकर जाएगा। बल्कि उसका बदला पूरा हुआ उसके विरोधियों का खून सूंघ लिया। अब वह साइड में जाकर लेट भी जाएगा। 
 
इतने अलग-अलग निगेटिव और पॉजिटिव रोल निभाने के बाद अगर कोई कंप्लीमेंट शेयर कर सके तो बताए
ऐसे कई सारे होते हैं लेकिन चलिए बताता हूं। सीक्रेट सुपरस्टार के समय में मुझे कई सारे लोगों ने आमिर खान की पार्टी में बहुत सारे कंपलीमेंट्स दिए थे। एक आम व्यक्ति आकर आपके काम की तारीफ करता है उसकी अहमियत अलग होती है और फिर जो लोग इसी फिल्म इंडस्ट्री के हैं जो इतने सालों से इसी इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं उनके द्वारा आपके काम की तारीफ हो तो बात अलग हो जाती है। अब वह इज्जत और वह उनकी प्रशंसा है उनकी आंखों में बनाए रखना भी बहुत जरूरी होता है। 
 
एक बहुत बड़े एक्टर नाम नहीं लेना चाहता हूं उन्होंने मुझे कहा था कि एक समय में प्राण साहब हुआ करते थे जिन से मुझे डर लगा और अब इस समय में तुम हो जिससे मुझे डर लगा। मजे की बात मेरे साथ तब होती थी जब मैं लिफ्ट में जाता था और मेरी बिल्डिंग के जो बच्चे हैं, मुझे देखकर लिफ्ट से बाहर निकल जाया करते थे। एक बार तो फिल्म का प्रीमियर चल रहा था। कुछ जर्नलिस्ट को बुलाया गया था और कॉरिडोर से गुजर रहा था जो उसने मुझे देखा और वहां से उल्टे पांव वहां से निकल गए और फिर कुछ सेकंड बाद उन्हें याद आया कि यह मैं आम व्यक्ति हूं मैंने सिर्फ रोल निभाया है। 
 
मैं असली में इतना डरावना पिता नहीं हूं उनको जैसे ही यह बात समझ में आई वह खुद-ब-खुद हंसने लग गई और आगे बढ़ गई कि वह भी कैसे एकदम से रिएक्ट कर गई जबकि इससे फिल्म ही चल रही थी जिससे वह कुछ मिनट के लिए मध्यांतर के समय बाहर आई थी। 
 
अब रजाकार के निर्माता साहब की बात कर लीजिए वो मुझे कहते हैं कि अगर तुम्हारा खून लिया जाए, उसमें से डीएनए चेक किया जाए तो मुझे लगता है कि तुम्हारे खून में कासिम रिजवी का डीएनए ही मिलने वाला है या फिर तुम कासिम के पुर्नजन्म हो, मुझे इस तरीके के कंपलीमेंट्स बहुत अच्छे लगते हैं। 
 
आने वाले दिनों में कौन सी फिल्में देख सकते हैं? 
जून के महीने में आप मुझे एक फिल्म मैच फिक्सिंग में देखने वाले हैं। बहुत ही अच्छी फिल्म बनी है। इसकी शूटिंग पूरी कर चुका हूं। हमने लंदन, टर्की और लखनऊ में इसकी शूट की हुई है और अभी पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है। इसके अलावा एक्सल एंटरटेनमेंट यानी कि फरहान अख्तर की एक फिल्म आने वाली है। मेरी इस फिल्म को रवि उद्यापन ने निर्देशित किया है जिन्होंने मॉम का भी निर्देशन किया था। यह एकदम बॉलीवुड मसाला मारधाड़ से भरी भरी फिल्म है। इसमें में मुख्य विलेन का किरदार निभा रहा हूं और उसका नाम फिरोज है। इसके अलावा मैं एक और फिल्म पूरी कर चुका हूं। गम गम गणेशा यह आनंद देवरकोंडा के साथ आने वाली है। यह तेलुगू फिल्म है। ये तीनों फिल्में इसी साल आएंगी।

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