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फिल्में दो तरह की होती हैं, अच्छी या बुरी : अजय देवगन

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रूना आशीष

"अपनी पिछली फिल्म गोलमाल के दौरान हमने आपस में बात की थी, तब किसी ने कहा कि आजकल तो गोलमाल जैसी फिल्म नहीं बल्कि रेड जैसी फिल्म का ज़माना है। संजीदा फिल्म ही चलेगी, लेकिन मैंने गोलमाल की और वो हिट हो गई। तो कोई फॉर्मूला नहीं होता। फिल्म दो तरह की होती हैं अच्छी या बुरी। 
 
जो अच्छी हो लोगों को पसंद आए चलेगी वरना नहीं चलेगी। फिर वो फिल्म किसी भी जॉनर की हो। लोग कभी ये सोच कर नहीं जाते कि हम इस तरह की फिल्म देखना चाहते हैं, वे तो बस एंटरटेन होने सिनेमा हॉल में जाते है ताकि मज़ा आए और वे कुछ अच्छी यादों के साथ घर वापस जाएं।"
 
अजय देवगन की ये बात ज़ाहिर है किसी को भी अच्छी और सटीक लगेंगी। अजय आगे बताते हैं 'जब से फिल्में बन रही हैं  तब से हर तरह की फिल्म बनी हैं। अगर दिलीप कुमार की फिल्में बनी और चली हैं तो किशोर कुमार की भी तो चली हैं।  अच्छी फिल्म चलती है और बुरी नहीं चलती।' अपनी लेटेस्ट फिल्म रेड के बारे में बताते हुए अजय ने वेबदुनिया संवाददाता से बात की। 
 
रेड देख कर आपकी फिल्म गंगाजल की याद आ गई। 
क्योंकि ये वैसी ही फिल्म है। एकदम ऑनेस्ट फिल्म। वैसा ही ट्रीटमेंट भी है। इसमें भी वह एक ऑफिसर है जो काम पर लगा रहता है। 
 
आपकी फिल्म सच्ची घटना पर बनी है तो कोई परेशानी सामने आई?
नहीं.. लेकिन अगर आपका मतलब फिल्मों की सेंसरशिप से है तो हां कई ऐसी फिल्में हैं जिन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। वहीं दूसरे देशों में देखिए कई बार राष्ट्रपति के बारे में भी मज़ाक कर लेते हैं वहीं हमारे देश में ऐसा मुमकिन नहीं है। हम बुरा मान जाते हैं। इसे बदलने में समय लगेगा। 
 
हाल ही में आपने मराठी फिल्म भी की है। 
हां, मैंने मराठी फिल्म में कैमियो किया था, जो लोगों को बहुत पसंद आया। लोग आ कर बोलते भी हैं कि और किया करूं मैं ऐसे काम। 
 
वेब सीरिज को बारे में क्या सोचते है? 
बहुत अच्छा है ये। मैं खुद कई वेब सीरिज देखता हूं। मुझे पसंद है। कभी-कभी लगता है कि अब हमारे लिए ये एक बड़ी कॉम्पिटिशन है क्योंकि कई फिल्मों को देख कर हमें लगता है कि इन्हें नेट पर देख लेंगे तो इसका मतलब ये कि अब हमें बड़ी और बड़े कैनवास की फिल्में बनानी होंगे जिसके ट्रेलर को देखने के बाद दर्शकों को लगे कि ये थिएटर में देखने वाली फिल्म है। ये हमारे लिए एक टास्क बन गया है। 
 
आपको ये इनकम टैक्स जैसी बातें कितनी समझ में आती हैं?
बिल्कुल समझ नहीं आती, लेकिन मैं जानता हूं कि टैक्स समय पर भरना चाहिए। 
 
आपकी फिल्म तानाजी की कोई खबर? 
काम चल रहा है। हम भी कोशिश कर रहे हैं कि सच्चाई के करीब रहे ये फिल्म। हमने रिसर्च भी ऐसे शख्स के साथ की है।  फिर भी किसी को कोई दिक्कत हो तो मिल बैठ कर सुलझा लूंगा।

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