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76वां कान फिल्म समारोह: हिरोकाजू कोरे ईडा की फिल्म 'मॉन्स्टर' ले जाती है बच्चों की कोमल दुनिया में

हमें फॉलो करें 76वां कान फिल्म समारोह: हिरोकाजू कोरे ईडा की फिल्म 'मॉन्स्टर' ले जाती है बच्चों की कोमल दुनिया में

अजित राय

, बुधवार, 24 मई 2023 (17:03 IST)
Cannes Film Festival: जापान के मास्टर फिल्मकार हिरोकाजू कोरे ईडा की फिल्म 'मॉन्स्टर' हमें बच्चों की कोमल दुनिया में ले जाती है। अपनी पिछली फिल्मों 'शापलिफ्टर' और 'ब्रोकर' के आइडिया को आगे बढ़ाते हुए इस बार उन्होंने बच्चों की निगाह से आधुनिक नैतिकता और तौर तरीकों, स्कूली शिक्षा, सोशल मीडिया की अफवाहों, पारिवारिक निष्क्रियता और कुल मिलाकर इनसे बनते गलतियों के निर्दय मनुष्य (दैत्य या राक्षस) का ड्रामा रचा है। 
 
हिरोकाजू कोरे ईडा की पिछली फिल्म 'शापलिफ्टर' (2018) को 71वें कान फिल्म समारोह में बेस्ट फीचर फिल्म का पाम डी'ओर पुरस्कार मिल चुका है। फिल्म की शुरुआत ही देर रात एक होस्टेस बार की बिल्डिंग में आग लगने और सड़कों पर फायर ब्रिगेड की सायरन बजाती गाड़ियों के दृश्यों से होती। कैमरा पूरे शहर को समेटता हुआ एक छोटे से अपार्टमेंट की बालकनी में ठहर जाता है जहां एक अकेली औरत साओरी अपने बेटे मीनाटो से कह रही है कि उसका स्कूल टीचर मिस्टर होरी उस बार का नियमित ग्राहक था। 
 
दूसरी सुबह साओरी का बेटा स्कूल से लौटकर बताता है कि उसके टीचर मिस्टर होरी ने उसे धक्का दिया और उसे 'सूअर का दिमाग' कहकर अपमानित किया। साओरी का पति मर चुका है और वह अकेले मीनाटो को पाल रही है। उसकी शिकायत पर स्कूल प्रशासन एक जांच बिठाता है और यहां से पटकथा लगातार जटिल होती जाती है। कई कहानियां और सच सामने आते है।
 
शहर के किनारे जहां से जंगल और समुद्र शुरू होता है वहां खराब पड़े रेलवे कोच में मीनाटो अपनी सहपाठी लड़की के साथ एक जादुई दुनिया बनाता है। बड़ों की दुनिया के बारे में उनकी बातचीत सवालों का जखीरा बनाते हैं और फिल्म उनका कोई जवाब नहीं देती। 
 
हिरोकाजू कोरे ईडा ने पूरी नैतिकता के साथ घर, स्कूल, पड़ोस और शहर में बच्चों की दिनचर्या और बार बार फ़्लैश बैक में जाकर उनका सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं। आधुनिक और अमीर जापान में बच्चों की बदलती दुनिया की ऐसी तस्वीरें विश्व सिनेमा में पहली बार इतने अंतरंग तरीके से सामने आई है। एक-एक दृश्य और उनके पीछे छिपे कहानियों का कोलाज फिल्म को ताजगी, रहस्यमय और उम्मीद भरा बनाते हुए नई कलात्मक उंचाई पर ले जाता है।
 
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इस बार कान फिल्म समारोह का जबरदस्त आकर्षण मशहूर स्पेनिश फिल्मकार पेद्रो अलमोदोवार की शार्ट फिल्म 'स्ट्रेंज वे आफ लाइफ' और उनकी मास्टर क्लास रही। पेद्रो पास्कल और हॉलीवुड स्टार ईथान हाक की जबरदस्त अभिनयबाजी के कारण तीस मिनट की यह फिल्म जादुई असर छोड़ती है। अमेरिकी वेस्टर्न शैली में मैक्सिको के सूदूर भूगोल में दो पुराने समलैंगिक मित्रों का पच्चीस साल बाद दोबारा मिलना, घुड़सवारी, पिस्तौल, गोलीबारी सबकुछ 'वेस्टर्न' शैली में हैं। 
 
फिल्म में दो मर्दों के बीच की दोस्ती और संशय के दृश्य सघन है। ईथान हाक को संदेह है कि पेद्रो पास्कल के बेटे ने उसकी भाभी की हत्या की हैं। दूसरी सुबह जब वह संभावित हत्यारे को मारने पहुंचता है तो देखता है कि पेद्रो पास्कल वहां पहले से मौजूद हैं। गोलियां चलती है। ईथान घायल हैं और पेद्रो उसका इलाज कर रहा होता है। यह एक पूरी फिल्म की पटकथा है। पता नहीं क्यों पेद्रो अलमोदवार ने इसे शार्ट फिल्म क्यों बनाया। 


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