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भारतीय सिनेमा के सौ साल : टॉप 10 मेल स्टार

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समय ताम्रकर

भारतीय सिनेमा के सौ साल के इतिहास में अनेक ऐसे कलाकार हुए हैं जिन्होंने सीधे जनता के दिलों में अपनी जगह बनाई। उनका नाम देख लोग टिकट खरीद लेते हैं। ये सही मायनों में स्टार हैं। भले ही उनके अभिनय में विविधता नहीं हो, लेकिन उनके जादुई अंदाज के लोग दीवाने हुए। पेश है ऐसे ही टॉप 10 मेल स्टार : (इनका क्रम अंग्रेजी वर्णमाला के मुताबिक जमाया गया है)

आमिर खान

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कयामत से कयामत तक से चॉकलेटी हीरो के रूप में आमिर खान ने शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने कई खराब फिल्में साइन की, लेकिन जल्दी ही आमिर को समझ में आ गया है कि लंबी रेस का घोड़ा बनना है तो अच्छी फिल्मों का चयन करना होगा। उस दौर में हीरो एक साथ दस-दस फिल्में किया करते थे, लेकिन आमिर ने एक या दो फिल्में ही करने का निर्णय लिया। धीरे-धीरे सभी अभिनेताओं ने आमिर का अनुसरण किया। आमिर बहुत सोच-समझ कर फिल्म साइन करते हैं और उसके बाद अपनी भूमिका को यादगार बनाने के लिए लंबी तैयारियां करते हैं। लगान ने आमिर की लोकप्रियता को शिखर पर पहुंचा दिया। बतौर निर्देशक ‘तारे जमीं पर’ बनाकर जता दिया कि कैमरे के पीछे भी वे उतने ही माहिर हैं जितना की कैमरे के आगे।


अमिताभ बच्चन

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एक दर्जन से ज्यादा फ्लॉप फिल्म देने के बाद दुबले-पतले और लंबे शख्स अमिताभ बच्चन ने जंजीर नामक फिल्म साइन की। युवा आक्रोश को उन्होंने अपने अभिनय से ऐसी धार दी कि दर्शकों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। अमिताभ के बाद दूसरे नंबर के स्टार की गिनती ग्यारह से शुरू होती थी। अमिताभ न केवल स्टार हैं बल्कि अपने बेहतरीन अभिनेता भी हैं। जहां एक ओर उन्होंने आनंद, नमक हराम, चुपके-चुपके जैसी फिल्में की तो दूसरी ओर शोले, शान, मुकद्दर का सिकंदर, डॉन जैसी एक्शन फिल्मों से भी दिल जीता। उनके जैसी सफलता शायद ही किसी और स्टार को मिली हो। चरित्र अभिनेता के रूप में भी उन्होंने ब्लैक और पा जैसी उम्दा फिल्में दी हैं।


अशोक कुमार

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अशोक कुमार को भारत का सबसे पहला स्टार कहा जाता है जो न चाहते हुए भी हीरो बन गए। जीवन नैया के हीरो को कुछ कारणों से बाहर कर दिया गया और अशोक कुमार को हीरो बना दिया गया। अशोक अभिनय नहीं जानते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने सब सीखा और स्टार बन बैठे। 1943 में रिलीज हुई ‘किस्मत’ सुपरहिट हुई और अशोक कुमार ने इसके बाद कई सफल फिल्में दी। बाद में उन्होंने चरित्र अभिनेता के रूप में भी लंबी इनिंग खेली।


धर्मेन्द्र

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पंजाब के छोटे-से गांव से गबरू धर्मेन्द्र को फिल्मों के प्रति जुनून मुंबई खींच लाया। मुंबई में धर्मेन्द्र ने लंबा स्ट्रगल किया और बॉलीवुड में लंबी इनिंग खेली। सत्यकाम, अनुपमा, चुपके-चुपके जैसी बेहतरीन फिल्म करने के बाद धर्मेन्द्र ने बदलते समय को देख एक्शन फिल्मों को चुना और अपनी धाक जमाई। टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के दस हैंडसम पुरुषों में चुना और उनकी तंदुरुस्ती देख दिलीप कुमार ने एक बार कहा था कि वे अगले जन्म में धर्मेन्द्र जैसे हैंडसम दिखना चाहेंगे। अपनी अदाकारी और विनम्रता के कारण इस धर्मेन्द्र ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई।


दिलीप कुमार

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दिलीप कुमार को अभिनय सम्राट कहा जाता है। वे इतने परफेक्शनिस्ट हैं कि यदि फिल्म में गिटार बजाना हो तो वे पहले गिटार बजाना सीखते हैं। ज्वार भाटा (1944) से उन्होंने अपना करियर शुरू किया और इसके बाद पलटकर कभी नहीं देखा। दिलीप कुमार के अभिनय की शैली का असर कई अभिनेताओं पर देखा जाता रहा है। गुणवत्ता के प्रति दिलीप कुमार का विशेष आग्रह रहा है और अपने लंबे करियर में उन्होंने बेहद कम फिल्में की हैं।


देवआनंद

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शहरी नौजवान की भूमिका देवआनंद पर खूब फबती थी। देवआनंद एक स्टाइलिस्ट अभिनेता थे। सिर पर हैट, गले में मफलर, स्वेटर, जूते और अपने एपियरेंस पर वे बहुत ज्यादा ध्यान देते थे, यही कारण रहा कि वे युवाओं में हमेशा लोकप्रिय रहे। रोमांटिक भूमिकाएं भी उन्होंने खूब की और जीवन भर सदाबहार बने रहे। सीआईडी, सोलवां साल, काला पानी, गाइड, बम्बई का बाबू, इंसानियत, नौ दो ग्यारह, हरे रामा हरे कृष्णा जैसी कई यादगार और हिट फिल्में भारतीय सिनेमा को दी।


राज कपूर

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राज कपूर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे और कम उम्र में उन्होंने निर्देशक की कमान भी संभाल ली। यही वजह है कि वे ज्यादा फिल्मों में अभिनय नहीं कर पाएं। एक मासूम व्यक्ति का किरदार उन्होंने कई फिल्मों में अभिनीत किया। आवारा, श्री 420 जैसी फिल्मों से उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली। बरसात, चोरी-चोरी, संगम, मेरा नाम जोकर, तीसरी कसम उनकी अन्य यादगार फिल्में हैं।


राजेश खन्ना

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आराधना (1969) से राजेश खन्ना की ऐसी आंधी चली कि बॉलीवुड के दूसरे हीरो हिल गए। 15 लगातार सफल फिल्म देने का रिकॉर्ड आज भी काका के नाम पर है। उन्हें बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार कहा गया। मधुर गानें और काका के गर्दन को टेढ़ा कर आंखों को मि‍चमिचाकर रोमांस करने का अंदाज लोगों को खूब भाया। लड़कियां तो राजेश की दीवानी हो गईं और खून से उन्हें खत लिखने लगी। आनंद (1971) ने राजेश को अमर कर दिया। सफर, कटी पतंग, आन मिलो सजना, सच्चा झूठा, बावर्ची, नमक हराम उनकी अन्य यादगार फिल्में हैं।


सलमान खान

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मैंने प्यार किया से धमाकेदार शुरुआत सलमान खान ने की। अपने करियर के शुरुआत में उन्होंने कई रोमांटिक फिल्में की। सलमान खान की एक्टिंग में गहराई नहीं है, लेकिन उनके अभिनय का एक खास अंदाज है जिससे दर्शक उनके दीवाने हुए। बॉलीवुड के हैंडसम स्टार सलमान का करियर ग्राफ कुछ वर्ष पहले बहुत नीचे आ गया था, लेकिन वांटेड और दबंग जैसी फिल्मों के जरिये उन्होंने शानदार वापसी की। उन्हें मास का हीरो कहा जाता है और लोग केवल सलमान को देखने जाते हैं, उन्हें कहानी, अभिनय जैसी चीजों से कोई मतलब नहीं होता है। इस समय सलमान की चारों ओर धूम है।


शाहरुख खान

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छोटे परदे से शाहरुख खान ने ऐसी छलांग लगाई कि वे बॉलीवुड के नंबर वन सिंहासन कर काबिज हो गए। किंग खान ने रोमांस के दौर को बॉलीवुड में फिर लौटाया। एक और दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे में वे मासूम प्रेमी नजर आए तो ‘डर’ और ‘बाजीगर’ में उनका शैतानी चेहरा नजर आया। वे अपने किरदारों को त्रीवता के साथ पेश करते हैं। उनकी ऊर्जा देखते ही बनती है। विदेश में उनके चाहने वालों की संख्यात बहुत ज्यादा है इसीलिए उन्हें डॉलर खान भी कहा जाता है।


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