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कैसे जीतें चुनाव, जानिए कुछ ज्योतिषीय टिप्स

हमें फॉलो करें कैसे जीतें चुनाव, जानिए कुछ ज्योतिषीय टिप्स
- आचार्य पं. संदीप बर्वे
 
यदि आप लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा, जिला पंचायत, जनपद पंचायत, नगर पालिक निगम, ग्राम पंचायत, सोसायटी या अन्य किसी पद के लिए चुनाव लड़ने का सोच रहे हैं, तो यहां वास्तु एवं ज्योतिषानुसार कुछ ऐसी बातें बताई जा रही हैं जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। 
 

 
वास्तु और ज्योतिष के ये छोटे-छोटे टिप्स आप आजमाएंगे तो आपको चुनाव जीतने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप अपने प्रतिद्वंद्वी को आसानी से हरा सकते हैं। अत: जानिए कुछ खास एवं महत्वपूर्ण उपाय...
 
अगले पन्ने पर राहुकाल में चुनावी सभा न करें...
 

राहुकाल में चुनावी सभा न करें : राहुकाल में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इस काल में चुनावी सभा नहीं करें। राहुकाल में की गई चुनावी आमसभा विफल होती है। 
 
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मतदाता के मन में भ्रांतियां फैलेंगी और प्रत्याशी एवं पार्टी के प्रति नकारात्मक विचार बढ़ेंगे, आमसभा में भी बाधाएं आएंगी, विवादों की स्थितियां बनेंगी।
 
राहुकाल में चुनावी फॉर्म भी नहीं भरना चाहिए। इस काल में फॉर्म भरने से प्रतिद्वंद्वी आप पर भारी पड़ेगा एवं पराजय का सामना करना पड़ता है। राहुकाल का समय प्रतिदिन अलग-अलग होता है।
 
वार अनुसार राहुकाल का समय निम्नानुसार है:-
 
वार              समय
सोमवार : प्रात: 7.30 बजे से 9.00 बजे तक।
मंगलवार : दोपहर 3.00 बजे से 4.30 बजे तक।
बुधवार : दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक।
गुरुवार : दोपहर 1.30 बजे से 3.00 बजे तक। 
शुक्रवार : प्रात: 10.30 बजे से 12.00 बजे तक। 
शनिवार : प्रात: 9.30 बजे से 10.30 बजे तक।
रविवार : दोपहर 4.30 बजे से 6.00 बजे तक।
 
अगले पन्ने पर, चुनाव फॉर्म भरने हेतु विजय नक्षत्र...
 

अनादि काल से राजा, महाराजा युद्ध के लिए जाते समय सर्वप्रथम विजय नक्षत्रों का चयन करते थे जिससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती थी। इन विजयी नक्षत्रों में ही राजा अपने शत्रु राजा पर आक्रमण पर राज्य अपने अधिकार में लेता था। 
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इन नक्षत्रों में चुनाव का फॉर्म भरना प्रतिद्वंद्वी को स्तंभित करने वाला, मतदाता को आकर्षित करने वाला होकर पद प्राप्ति में सहायक होकर विजय दिलाता है।
 
अत: प्रत्याशी को अपना चुनावी फॉर्म निम्न वर्णित विजयी नक्षत्रों में ही भरना चाहिए-
 
* रोहिणी
* मृगशीर्ष
* पुनर्वसु
* पुष्य
* हस्त
* स्वाति
* धनिष्‍ठा
* शतभिषा
* रेवती
 
अगले पन्ने पर चुनाव विजय हेतु शुभ और अशुभ पक्षी...
 

विजय हेतु शुभ पशु-पक्षी : मानव के सबसे निकट पशु और पक्षी ही रहते हैं तथा इनमें स्वामी के प्रति स्वामी भक्ति भी अधिक रहती है। पशु-पक्षियों को किसी भी घटना, चाहे वह अच्‍छी हो या बुरी, की जानकारी पूर्व से ही प्राप्त हो जाती है तथा उनके क्रिया-कलापों में भी घटना के अनुरूप परिवर्तन आता रहता है।
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यदि पशु और पक्षी की ऊर्जा की सकारात्मक है तो अच्छा परिणाम एवं ऊर्जा नकारात्मक है तो बुरा परिणाम प्राप्त होता है। हम यहां पर उन पशु और पक्षियों का वर्णन कर रहे हैं, जो सीधे-सीधे चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं जिनको दो भागों में विभक्त किया गया है। 
 
चुनाव परिणाम में शुभ पशु-पक्षी : निम्नानुसार वर्णित पशु या पक्षियों को मुख्य निवास स्थान अथवा प्रमुख चुनाव कार्यालय में रखने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होकर चुनाव परिणाम पक्ष में होता है- 
 
* सफेद घोड़ा, मुर्गा, सफेद बैल, कबूतर, लाल गाय, सफेद गाय, हिरण, मच्छर, पतंगा, नेवला, गोकुल गाय, हाथी, मछली, चिड़िया, मोर, मधुमक्खी, काली चींटी, चकोर और भौंरा।
 
अगले पन्ने पर, ये पशु-पक्षी कतई न रखें...
 

निम्नानुसार वर्णित पशु या पक्षियों को मुख्य निवास स्थान अथवा प्रमुख चुनाव कार्यालय में रखने से नकारात्मक ऊर्जा प्राप्त बढ़ती है जिससे परिणाम बाधित होकर विजय प्राप्ति में अवरोध उत्पन्न करते हैं। अत: उक्त पशु और पक्षी निवास स्थान एवं चुनाव कार्यालय में कदापि नहीं रखना चाहिए।
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* भैंस, बंदर, बछड़ा, बिल्ली, उल्लू, खजूरा, लाल चींटी, लाल कुत्ता, सांप, दीमक, बाघ, कौवा, बिच्छू, बकरा, सिंह, गिद्ध, कान, तोता एवं लाल बैल।
 
अगले पन्ने पर जानिए, विजय प्राप्ति हेतु कौन से हैं पेड़-पौधे...
 

विजय प्राप्ति हेतु पेड़-पौधे : प्रत्याशी के घर एवं चुनाव के मुख्‍य कार्यालय में विद्यमान पेड़-पौधे भी विजय एवं पराजय के सूचक होते हैं जिनका वर्णन निम्न प्रकार है- 
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* विजयसूचक पेड़-पौधे : रूईदार, तुलसी, मनीप्लांट, पारिजात और औदुम्बर।
* पराजयसूचक पेड़-पौधे : अंगूर, कांटेदार वृक्ष, बबूल, बेर, अनार, पपीता, पलास, इमली, पीपल, बरगद, केतकी।
 
अगले पन्ने पर जानिए, दिशा अनुसार ध्वजा लगाने का परिणाम...
 

ध्वजा वेध : ध्वजा या झंडे का एक विशिष्ट महत्व होता है। वर्तमान में एक पक्ष का प्रतीक ध्वजा का लहराना चुनाव में विजयकारक होता है। प्रत्याशी के निवास स्थान एवं चुनाव के मुख्‍य कार्यालय में लगाई गई ध्वजा का स्थान सुनिश्चित होता है।
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इस ध्वजा को वेध कर दिया जाए या ध्वजा विपरीत दिशा में लगा दी जाए तो उससे ध्वजा वेध होकर प्रतिद्वंद्वी की ध्वजा फहरा जाती है एवं प्रत्याशी को पराजय का सामना करना होता है। ध्वजा के सामने किसी भी प्रकार का पेड़, खंभा नहीं होना चाहिए। ध्वजा लहराते समय किसी वस्तु आदि से बाधित होकर अटकना नहीं चाहिए।
 
दिशा अनुसार ध्वजा लगाने का परिणाम :
 
पूर्व : कशमकश के साथ विजय।
आग्नेय : विवाद के साथ पराजय।
दक्षिण : अधिक परिश्रम, विजय में बाधादायक।
नैऋत्य : पद, प्रतिष्ठा, शत्रु, दमन एवं विजयश्री।
पश्‍चिम : अधिक परिश्रम के साथ मतदान कम।
वायव्य : विपरीत मतदान के साथ पराजय।
उत्तर : अर्थहानि।
ईशान्य : आकस्मिक विजय।
 
ध्वजा निवास स्थान या मुख्‍य कार्यालय के नैऋत्य दिशा में ही लगाना चाहिए। इस दिशा की ध्वजा विजय, पद, प्रतिष्ठा देने वाली एवं शत्रु का दमन करने वाली होती है इसलिए ध्वजा नैऋत्य दिशा में ही लगाना चाहिए।
 
अंत में प्रचार करने के लिए घर से क्या खाकर निकलें, जानिए...
 

घर से क्या खाकर निकलें : चुनाव फॉर्म भरने जाते समय एवं चुनाव प्रचार हेतु घर से निकलते समय क्या खाकर निकलें जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो एवं मतदाता व मतदान प्रत्याशी के पक्ष में हो। वार अनुसार वस्तुओं का निर्धारण कर रहे हैं कि कौन से वार में प्रत्याशी को क्या खाकर निकलना चाहिए।
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रविवार : पान।
सोमवार : दूध, चावल।
मंगलवार : गुड़।
बुधवार : खड़ा धनिया।
गुरुवार : जीरा।
शुक्रवार : दही।

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