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रूस के इस एंटी सैटेलाइट हथियार से अमेरिका क्यों है परेशान

हमें फॉलो करें रूस के इस एंटी सैटेलाइट हथियार से अमेरिका क्यों है परेशान

BBC Hindi

, शनिवार, 17 फ़रवरी 2024 (07:34 IST)
बर्न्ड डिबसमैन जूनियर, बीबीसी न्यूज़, वाशिंगटन
अमेरिका ने कहा है कि रूस एक नया हथियार विकसित कर रहा है जो परेशान करने वाला है। हालांकि अमेरिका ने इस बात पर भी ज़ोर दिया है कि अभी इस हथियार को तैनात नहीं किया गया है।
 
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के बयान के एक दिन बाद ये बात गुरुवार को कही।
 
रिपब्लिकन पार्टी के सांसद ने प्रतिनिधि सभा में इस हथियार को अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा बताते हुए चेतावनी दी है।
 
सीबीएस न्यूज़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस हथियार का इस्तेमाल अंतरिक्ष में किया जा सकता है।
 
इसे परमाणु शक्ति से लैस किया जा सकता है और ये सैटेलाइटों पर हमला करने के काम में लाया जा सकता है। हालांकि जॉन किर्बी ने इस जानकारी की पुष्टि नहीं की है। उन्होंने इस संभावित ख़तरे के बारे में और कोई जानकारी देने से भी इनकार कर दिया।
 
दूसरी तरफ़, रूस ने अमेरिका के इन दावों को लेकर कहा है कि वो नए रूसी हथियार के बारे में ऐसे आरोप लगाकर कांग्रेस को मजबूर करने की साज़िश रच रहा है ताकि यूक्रेन के लिए जैसे-तैसे अतिरिक्त फंड का इंतज़ाम किया जा सके।
 
जॉन किर्बी को हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के सलाहकार के तौर पर नामित किया गया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि अमेरिकी लोगों को कोई फौरी ख़तरा नहीं है।
 
उन्होंने कहा, "हम ऐसे हथियार के बारे में बात नहीं कर रहे हैं जिसका इस्तेमाल इंसानों पर हमला करने के लिए या यहां धरती पर कोई नुक़सान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है।"
 
राष्ट्रपति जो बाइडन को इस घटनाक्रम से अवगत कराया गया है। जॉन किर्बी ने बताया कि बाइडन प्रशासन इस मुद्दे को 'बेहद गंभीरता' से ले रहा है।
 
उन्होंने ये भी बताया कि राष्ट्रपति बाइडन ने इस मुद्दे पर 'रूस के साथ सीधे कूटनीतिक संपर्क स्थापित' करने का आदेश दिया है।
 
प्रतिनिधि सभा की इंटेलीजेंस कमेटी के चेयरमैन माइक टर्नर ने बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने मौजूद गंभीर चुनौती को लेकर इशारों में आगाह किया था। उनके इस बयान के बाद वाशिंगटन के राजनीतिक गलियारों में अफ़वाहों का बाज़ार गर्म हो गया।
 
हालांकि अंतरिक्ष के हथियारों की जब भी बात होती है तो ऐसा लगता है कि जैसे किसी साइंस फ़िक्शन नॉवेल का जिक्र हो रहा हो।
 
लेकिन सैन्य विशेषज्ञ लंबे समय से चेतावनी देते रहे हैं कि ऐसी दुनिया जो लगातार टेक्नोलॉजी पर निर्भर होती जा रही हो, वहां अंतरिक्ष अगला मैदान-ए-जंग हो सकता है।
 
इस ख़तरे के बारे में और क्या मालूम है?
जॉन किर्बी की टिप्पणी के अलावा अमेरिकी सरकार के अधिकारियों ने इस ख़तरे के बारे में अब तक कोई ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं की है।
 
नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र जेक सुलीवन ने ये संकेत दिया है कि सरकार की ख़ामोशी सोची समझी है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि अमेरिकी एजेंसियां इस ख़तरे के बारे में जानकारी जुटाने के लिए ज़रूर काम करेंगी।
 
न्यूयॉर्क टाइम्स, एबीसी और सीबीएस जैसे न्यूज़ नेटवर्कों ने अपनी रिपोर्टों में कहा है कि ये ख़तरा रूस द्वारा विकसित किए जा रहे परमाणु शक्ति संपन्न उस हथियार से है जिसका इस्तेमाल अंतरिक्ष में अमेरिकी सैटेलाइट्स पर हमला करने के लिए किया जा सकता है।
 
जॉन किर्बी ने पत्रकारों से कहा है कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि इस हथियार को तैनात कर दिया गया है। लेकिन उन्होंने ज़ोर देकर ये भी कहा कि अमेरिका इस ख़तरे को 'बेहद गंभीरता' से लेता है।
 
सालों से अमेरिकी अधिकारी और एयरोस्पेस एक्सपर्ट्स ये कहते रहे हैं कि रूस और चीन अंतरिक्ष में अपनी सैन्य क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं ताकि अमेरिका से मुक़ाबला किया जा सके।
 
अमेरिकी थिंक टैंक स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज़ ने पिछले साल अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि रूस एंटी सैटेलाइट वीपंस विकसित कर रहा है। इस रिपोर्ट में नवंबर, 2021 की एक घटना का भी जिक्र किया गया है जिसमें सोवियत दौर के एक निष्क्रिय सैटेलाइट के ख़िलाफ़ एक मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था।
 
इस रिपोर्ट के लेखकों में से एक और अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के पूर्व खुफिया अधिकारी कारी बिंगेन ने बीबीसी को बताया कि यूक्रेन के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई में रूस पहले ही कई तरीके आजमा चुका है।
 
इनमें सैटेलाइट कम्युनिकेशन में बाधा डालने के लिए साइबर अटैक और जैमिंग का इस्तेमाल शामिल है। वे कहते हैं, "रूस के जंगी तौर-तरीकों में ये सब पहले से शामिल है।"
 
क्या आम लोगों के लिए ये चिंता की बात है?
प्रतिनिधि सभा के स्पीकर माइक जॉनसन जैसे अमेरिकी कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि लोगों को अभी अलर्ट करने की कोई ज़रूरत नहीं है।
 
आम लोगों को आगाह करने की वजह से माइक टर्नर को आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है। उन्हीं की पार्टी के एंडी ओग्लेस ने इसे लापरवाही करार दिया है।
 
हालांकि विशेषज्ञ और पूर्व अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अमेरिकी सैटेलाइट्स के सामने मौजूद किसी भी ख़तरे के दूरगामी नतीजे हो सकते हैं।
 
अमेरिकी सेना काफी हद तक सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर निर्भर करती है। वह निगरानी, मिसाइल लॉन्च को डिटेक्ट करने, हवाई और समुद्री नेविगेशन से लेकर जीपीएस गाइडेड बम और युद्धक्षेत्र में संपर्क के लिए इसका इस्तेमाल करती है।
 
कारी बिंगेन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय में दूसरे सबसे उच्च स्तर के खुफिया अधिकारी रह चुके हैं। वो कहते हैं, "हमारी सेना जिस तरह से आज लड़ती है और जिन हथियारों में हम निवेश करते हैं, वो सभी हमारी अंतरिक्ष क्षमताओं पर निर्भर करती है। इसके बिना हम मुश्किल स्थिति में पड़ सकते हैं। पिछले 30-40 सालों में हमने जिस तरह से लड़ना सीखा है, हम वैसे नहीं लड़ पाएंगे।"
 
वैसे सैन्य ज़रूरतों के अलावा भी सैटेलाइट्स का कई जगहों पर इस्तेमाल होता है। जैसे जीपीएस ट्रांसपोर्टेशन सर्विस, खाना डिलीवर करने और मौसम की जानकारी देने के लिए।
 
इसकी ज़रूरत खेती-बाड़ी से लेकर सिग्नल पर निर्भर वित्तीय लेनदेन तक में होती है।
 
कारी बिंगेन कहते हैं, "सैटेलाइट्स हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा है। अमेरिकी और दुनिया भर के लोग अंतरिक्ष पर निर्भर हैं और यहां तक कि इसके बारे में उन्हें पता तक नहीं है।"
 
क्या अंतरिक्ष के हथियारों से जुड़े कोई नियम भी हैं?
अमेरिका, रूस और चीन के पास पहले से ही दुनिया भर के सैटेलाइट्स पर हमले करने की क्षमता है। हालांकि सैंद्धांतिक रूप से वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
 
इन तीनों ही देशों ने 1967 आउटर स्पेस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके ज़रिए ये पृथ्वी के ऑर्बिट में हथियारों से लैस कोई भी चीज़ नहीं भेज सकते।
 
वैसे, अमेरिकी रक्षा विभाग के एक पूर्व अधिकारी मिक मुलरॉय कहते हैं कि मौजूदा भूराजनीतिक माहौल में ये संधि सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं देती।
 
वह कहते हैं, "रूस ने जिन संधियों पर दस्तखत किए हैं, उसने उनके प्रति पूरी तरह से उपेक्षा का रवैया दिखलाया है। उसने सभी अंतरराष्ट्रीय नियम क़ायदों को धता बताते हुए यूक्रेन के ख़िलाफ़ सैनिक ताक़त का इस्तेमाल किया है। वे संधियों को लेकर किए गए अपने ही वादों का पालन नहीं करते हैं।"
 
क्या अंतरिक्ष नया मैदान-ए-जंग बनेगा?
अमेरिका की रणनीतिक मामलों कांग्रेस कमेटी से जुड़े और राष्ट्रपति बुश, राष्ट्रपति ओबामा और राष्ट्रपति ट्रंप के दौर में रक्षा और खुफिया विभाग के अधिकारी रहे मैथ्यू क्रोएनिंग ने बीबीसी को बताया कि इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि अंतरिक्ष को लेकर दुनिया भर के सैनिक ताक़तों की दिलचस्पी बढ़ रही है।
 
"एक वक़्त तक इंसानों ने अंतरिक्ष की खोजबीन की। अब हम ऐसे दौर में दाखिल हो रहे हैं जिसमें अंतरिक्ष के व्यावसायिक इस्तेमाल पर ध्यान दिया जा रहा है और अभी हम इसके शुरुआती चरण में हैं।"
 
वे कहते हैं कि इसके अलग चरण में दुनिया भर की ताक़तें अंतरिक्ष पर अपना नियंत्रण स्थापित करने पर ध्यान देंगी।
 
मैथ्यू क्रोएनिंग कहते हैं, हम इस बात को यूं ही लेते हैं कि आसमान और समंदर आज़ाद हैं और इनका मनचाहा व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा सकता है।
 
आदर्श रूप में हम आने वाले 30 वर्षों में अंतरिक्ष को भी उसी तरह देखना चाहते हैं, जहां बेरोक-टोक आना-जाना हो सके, कारोबार किया जा सके और यहां तक इसे रहने लायक भी बनाया जा सके। हमें ये सुनिश्चित करना है कि ये सुरक्षित जगह बनी रहे।
 

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