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महेश प्रसाद वर्मा कैसे बन गए थे महर्षि महेश योगी?

हमें फॉलो करें महेश प्रसाद वर्मा कैसे बन गए थे महर्षि महेश योगी?
, सोमवार, 5 फ़रवरी 2018 (11:32 IST)
पश्चिम में जब हिप्पी संस्कृति का बोलबाला था तो दुनिया भर में लाखों लोग महर्षि महेश योगी के दीवाने हो रहे थे। ये आज के दौर में मशहूर बाबा रामदेव और दूसरे योग गुरुओं से पहले की बात है। वो महर्षि महेश योगी ही थे जिन्हें योग और ध्यान को दुनिया के कई देशों में पहुँचाने का श्रेय दिया जाता है।
 
5 फ़रवरी, 2008 को महर्षि महेश योगी का नीदरलैंड्स स्थित उनके घर में 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। उन्होंने 'ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन' (अनुभवातीत ध्यान) के ज़रिए दुनिया भर में अपने लाखों अनुयायी बनाए थे। साठ के दशक में मशहूर रॉक बैंड बीटल्स के सदस्यों के साथ ही वे कई बड़ी हस्तियों के आध्यात्मिक गुरु हुए और दुनिया भर में प्रसिद्ध हो गए।
 
 
ध्यान और योग
महर्षि महेश योगी का असली नाम था महेश प्रसाद वर्मा। महर्षि महेश योगी का जन्म 12 जनवरी 1918 को छत्तीसगढ़ के राजिम शहर के पास पांडुका गाँव में हुआ और उन्होंने इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली थी। 40 और 50 के दशक में वे हिमालय में अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा लेते रहे।
 
महर्षि महेश योगी ने ध्यान और योग से बेहतर स्वास्थ्य और आध्यात्मिक ज्ञान का वादा किया और दुनिया के कई मशहूर लोग उनसे जुड़ गए। ब्रिटेन के रॉक बैंड बीटल्स के सदस्य उत्तरी वेल्स में उनके साथ सप्ताहांत बिताया करते थे।
 
 
संत क्यों कहा जाता है...
एक बार जब महेश योगी ऋषिकेश में बनाए गए अपने अत्याधुनिक आश्रम में थे तो बीटल्स के सदस्य हेलिकॉप्टर से वहाँ पहुँचे थे। हालांकि बीटल्स म्यूजिक ग्रुप का महर्षि योगी से जल्दी ही मोह भंग हो गया लेकिन तब तक उनका साम्राज्य दिल्ली से अमेरिका तक फैल चुका था।
 
जब वे अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे तो कुछ लोगों ने उनसे पूछा कि उन्हें संत क्यों कहा जाता है, और उनका जवाब था, "मैं लोगों को ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन सिखाता हूँ जो लोगों को जीवन के भीतर झांकने का अवसर देता है। इससे लोग शांति और ख़ुशी के हर क्षण का आनंद लेने लगते हैं। चूंकि पहले सभी संतों का यही संदेश रहा है इसलिए लोग मुझे भी संत कहते हैं।"
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पश्चिमी देशों में लोकप्रियता
महर्षि योगी पर कई पुरस्कार जीतने वाली फ़िल्म बना चुके बीबीसी के यावर अब्बास ने एक बार ऋषिकेश स्थित उनके आश्रम में उनसे बात की थी। यावर अब्बास ने पूछा कि क्या कारण है कि वे और उनका ध्यान-योग पश्चिमी देशों में बहुत लोकप्रिय है लेकिन भारत में उन्हें मानने वाले ज़्यादा नहीं हैं।
 
 
महेश योगी का जवाब था, "इसकी वजह यह है कि यदि पश्चिमी देशों में लोग किसी चीज़ के पीछे वैज्ञानिक कारण देखते हैं तो उसे तुरंत अपना लेते हैं और मेरा ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन योग के सिद्धांतों पर क़ायम रहते हुए पूरी तरह वैज्ञानिक है।"
 
नीदरलैंड्स स्थित उनका विशाल घर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। 90 के दशक में ब्रिटेन और यूरोप के चुनाव में 'नेचुरल लॉ पार्टी' के उम्मीदवारों की बड़ी चर्चा रही क्योंकि वे योग-ध्यान की बातें करते थे और महर्षि महेश योगी की मान्यताओं के क़रीब थे।
 
 
महर्षि का ऋषिकेश आश्रम
बीटल्स ने 18 एकड़ में फ़ैले इस आश्रम में तीन महीने तक आध्यात्मिक एकांतवास की योजना बनाई थी, लेकिन उनकी योजना काफ़ी अफरातफरी की शिकार हो गई। आज यह आश्रम उन दिनों की भुतहा निशानी भर रह गया है। यह आश्रम नेशनल पार्क में स्थित है, जहां 1,700 हाथी और चीता एवं तेंदुआ जैसे जानवर रहते हैं।
 
अब यहां पत्थर और कंक्रीट की इमारतें पर उग आए जंगल झाड़ से झांकती हुई दिखाई देती हैं, जिन पर घास फूस उग आई है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार यह आश्रम अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस बहुत सुंदर ढंग से बनाया गया था।
 
यहां मेहमान हैलीकॉप्टर से आते-जाते थे और यूरोपीय मॉडल के किचन में तीन वक़्त का शाकाहारी भोजन दिया जाता था। महर्षि के अन्य मेहमानों में गायक डोनोवन और बीच ब्वॉय, माइक लव जैसी शख़्सियतें थीं। बीटल्स के कलाकार यहां सूती पायज़ामा पहनते थे और जिप्सियों जैसे दिखते थे।
 
महर्षि ने इन पॉप स्टार्स को अध्यात्म और ध्यान में पारंगत बना देने का वादा किया था। सरकार ने 1957 में आश्रम की ज़मीन को महर्षि को लीज़ पर दिया था। लेकिन 1970 के दशक के मध्य गुरु और उनके शिष्यों ने इस आश्रम को छोड़ दिया। निर्जन पड़े इस आश्रम को जंगल ने धीरे धीरे अपनी गोद में ले लिया। मुख्य गेट के गार्ड का कहना है, "इस जगह को भगवान ने छोड़ दिया लेकिन भक्त अभी भी आ रहे हैं।"
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राम नाम की मुद्रा
महर्षि महेश योगी ने 'राम' नाम की एक मुद्रा भी चलाई जिसे नीदरलैंड्स ने साल 2003 में क़ानूनी मान्यता भी दी थी। 'राम' नाम की इस मुद्रा में चमकदार रंगों वाले एक, पाँच और दस के नोट थे। इस मुद्रा को महर्षि की संस्था 'ग्लोबल कंट्री ऑफ़ वर्ल्ड पीस' ने साल 2002 के अक्टूबर में जारी किया गया था।
 
 
नीदरलैंड्स के कुछ गाँवों और शहरों की सौ से अधिक दुकानों में ये नोट चलने लगे थे। इन दुकानों में कुछ तो बड़े डिपार्टमेंट स्टोर श्रृँखला का हिस्सा थे। अमेरिकी राज्य आइवा के महर्षि वैदिक सिटी में भी 'राम' मुद्रा का प्रचलन था। वैसे 35 अमेरिकी राज्यों में 'राम' पर आधारित बॉन्डस शुरू किए गए थे।
 
महर्षि महेश योगी का संगठन
साल 2008 में जारी हुई उनकी संस्था से जुड़ी एक रिपोर्ट के मुताबिक महेश योगी ने 150 देशों में पाँच सौ स्कूल, दुनिया में चार महर्षि विश्वविद्यालय और चार देशों में वैदिक शिक्षण संस्थान खोल रखे थे। महर्षि महेश योगी का संगठन वैसे 'लाभ न अर्जित करने वाला' संगठन था लेकिन साल 2008 की इसी रिपोर्ट में उनके संगठन के पास दो अरब पाउंड यानी तक़रीबन 160 अरब रुपयों की संपत्ति होने की बात कही गई थी।
 
 
साल 2008 की 11 जनवरी को महर्षि योगी ने ये कहते हुए रिटायरमेंट की घोषणा कर दी थी कि उनका काम पूरा हो गया है और उनका गुरु के प्रति जो कर्तव्य था वो पूरा हो गया है।

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