Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पैसे देकर पिंजरे में रहते हैं इस शहर के लोग

हमें फॉलो करें पैसे देकर पिंजरे में रहते हैं इस शहर के लोग
, सोमवार, 12 मार्च 2018 (11:19 IST)
ऐसे पिंजरे की कल्पना कीजिए जो जिसकी लंबाई दो मीटर और ऊंचाई एक मीटर से कुछ ही अधिक है। सोचिए कि इस पिंजरे में ऐसे ही तीन खाने हैं। और अब सोचिए कि यही आपकी रिहाइश है।
 
हॉन्ग कॉन्ग में सस्ते मकानों की भारी कमी के कारण यहां रहने वाले कई लोगों के लिए यह एक सच्चाई बन चुकी है। दरअसल साल 2017 में ऐसे पिंजरेनुमा घरों में रहने वालों की संख्या अपने आप में एक रिकॉर्ड था।
 
डेमोग्राफिया नाम की एक कंसल्टेंसी कंपनी का कहना है कि लगातार आठवें साल हॉन्ग कॉन्ग में रहने के लिए दुनिया की सबसे महंगी जगहों की सूची में सबसे ऊपर है।
 
लेकिन अगर आपको लगता है कि इस पिंजरेनुमा घर में रहने की कीमत कुछ भी नहीं देनी पड़ती होगी तो आप ग़लत है। इन नन्हे नैनो घरों का किराया साल में 500 अमेरिकी डॉलर यानी 32 हज़ार के आस-पास है।
 
नए उपाय तलाशने की कोशिश
'नैनोहोग्रेस' कहे जाने वाले इन छोटे घरों के कई प्रकार हैं। कई मज़बूत और बढ़िया हैं लेकिन ये बात सच है कि इसमें रहने लायक जगह काफी कम होती है।
 
तेज़ी से बढ़ती आबादी के लिए घर की व्यवस्था पर शोध करने वाले गोलाकार पाइपों का इस्तेमाल घर बनाने के लिए कर रहे हैं। पाइप के भीतर बनाए जाने वाले इन छोटे घरों को सस्ता और मज़बूत बनाने की कोशिशें हो रही हैं।
 
इन्हें ओपॉड कहा जाता है। ओपॉड का एक नमूना बनाने वाले जेम्स लॉ कहते हैं, "हम कम खर्च करके घर में एक बाथरूम, किचन और फर्नीचर लगा सकते हैं।"
 
हालांकि इस तरह के घरों को महंगे मकानों और लोगों के आवास की दिक्कतों का स्थायी समाधान नहीं माना जा रहा।
 
घरों की समस्या केवल हॉन्ग कॉन्ग तक ही सीमित नहीं है। जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, ब्रिटेन और न्यूज़ीलैंड में भी मकानों की कीमतें काफी ज़्यादा हैं और वे अधिकतर लोगों की पहुंच से दूर हैं।
 
कई लोगों के लिए विदेशी लोगों का उनके देश में ज़्यादा संपत्ति ख़रीदना भी एक समस्या है, जिससे मकानों के दाम बढ़ते हैं और संपत्ति का बाज़ार बिगड़ जाता है। साथ ही स्थानीय लोगों के लिए मकान ख़रीदना आसान नहीं रह जाता।
 
इस समस्या से निपटने के लिए न्यूज़ीलैंड एक ऐसे विधेयक पर काम कर रहा है जिसके तहत विदेशियों के देश में संपत्ति खरीदने पर रोक लगाई जा सके। यहां के प्रधानमंत्री जाकिंदा आर्डर्न के अनुसार इस कारण देश के वे युवा जो अपना पहला घर खरीदना चाहते हैं उन्हें दिक्कत हो रही है।
 
25 साल पहले न्यूज़ीलैंड की 75 फीसदी जनता के पास अपना ख़ुद का घर था। लेकिन मौजूदा स्थिति में देश के मात्र 64 फीसद लोगों के पास अपना घर है।
 
लोगों की पहुंच से दूर हैं घर
लंदन एक और ऐसा शहर है जहां एक दशक के भीतर संपत्ति के दाम दोगुना तक बढ़ गए हैं। कई जगहों पर लोगों को गराज में ही अपना घर बनाना पड़ रहा है और कुछ लोग छोटे घरों में रहते हैं या फिर दूसरों के साथ घर शेयर करते हैं।
 
ब्रिटेन में संपत्ति के कारोबार में लगे हेनरी प्रायर कहते हैं, "कई लोगों को लगता है कि ऐसा विदेशी निवेशकों के कारण हुआ है, लेकिन मेरी राय मानें तो असल में ऐसा नहीं है।"
 
प्रायर कहते हैं, "संपत्ति खरीदने के मामलों में सप्लाई और डिमांड का सिद्धांतों काम नहीं करता बल्कि ये लोन लेने की क्षमता और लोन की सुविधाओं तक पहुंच पर भी निर्भर करता है।"
 
अधिकतर शहरों में रहने के लिए सस्ते मकानों की कमी है लेकिन हॉन्ग कॉन्ग जैसी स्थिति फिलहाल उन शहरों में नहीं है।

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मोदी सरकार में कितनी बढ़ी हैं किसानों की मुसीबतें?