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मेष-स्वभावगत कमियां
मेष राशि का जातक स्वयं को अधिक विज्ञ समझता है, पर धर्म एवं व्यक्तिगत क्षमताओं के प्रति शंकालु रहता है। अपने गुप्त भेदों के प्रकट हो जाने का डर उसे हर समय सताता रहता है। इन्हें क्रोध शीघ्र ही आ जाता है तथा अपमान सहन नहीं कर सकते हैं। घर में किसी एक व्यक्ति से खटपट अवश्य चला करती है। चर्चा के दौरान जोश जल्दी आ जाता है। प्रायः इस राशि का संबंध अवांछित लोगों से भी हो जाता है। कई उलझनों में फंस जाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में यदि सावधानी और समझदारी से काम न लेने पर अथवा अपनी दृढ़ता में कुछ कमी के कारण हानि उठाते हैं। इस राशि के कुछ व्यक्ति जिद्दी स्वभाव के भी होते हैं। ऐसे व्यक्ति तब तक अपनी गलती को स्वीकार नहीं करते, जब तक कि उन्हें भारी नुकसान न उठाना पड़ जाए। इस राशि में शनि स्थित हो तो वह अशुभ फल देता है। जिन व्यक्तियों का भला करेंगे, वे ही परेशानी का कारण बनेंगे। मेष राशि वाले पुरुष का यह एक विशिष्ट गुण है कि वह एक बार जिसका हो जाता है, उसे अपना सर्वस्व दे बैठता है। इस व्यवहार के कारण उसे प्रायः हानि उठानी पड़ती है। सैक्स के मामलों में मेष राशि का व्यक्ति अचानक उत्पन्न हो जाने वाली भावनाओं से अधिक संचालित होता है। इसी कारण वह अनेक बार अपमानित भी होता है। सैक्स के मामलों में समझदारी का व्यवहार करना उसके लिए नितांत आवश्यक है। प्रेम के विषय में मेष राशि वाला व्यक्ति दूसरों को मूर्ख बनाता है। सहनशीलता, धैर्य तथा ईर्ष्या के कारण वह स्वयं मूर्ख बन जाता है। 'ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' - इस मंत्र का 10000 जाप कर के मनोकांक्षा पूरी कर सकते हैं।

राशि फलादेश