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सम्मोहन विद्या के 10 रहस्य, जानिए

हमें फॉलो करें सम्मोहन विद्या के 10 रहस्य, जानिए

अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'

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सम्मोहन को अंग्रेजी में हिप्नोटिज्म कहते हैं। इस प्राचीन विद्या का एक ओर जहां दुरुपयोग हुआ और हो रहा है, वहीं इस विद्या के माध्यम से लोगों का भला ‍भी किया जा रहा है। भला करने वालों का अपना स्वार्थ भी उसमें शामिल है। सम्मोहन के बारे में हर कोई जानना चाहता है, लेकिन सही जानकारी के अभाव में वह इसे समझ नहीं पाता है।

सवाल यह उठता है कि क्या सम्मोहन विद्या से किसी भी प्रकार का रोग दूर हो सकता है? क्या सम्मोहन से किसी भी प्रकार की शक्ति और सिद्धि प्राप्त की जा सकती है और क्या इसके माध्यम से दूसरों को अपने इशारे पर नचाया जा सकता है? सवाल और भी हो सकते हैं लेकिन आखिर सम्मोहन विद्या का सत्य क्या है और क्या है इसका रहस्य? जानेंगे हम अगले पन्नों पर...

 

अगले पन्ने पर, सम्मोहन, हिप्नोटिज्म और मेस्मेरिज्म का रहस्य...


सम्मोहन विद्या भारतवर्ष की प्राचीनतम और सर्वश्रेष्ठ विद्या है। सम्मोहन विद्या को ही प्राचीन समय से 'प्राण विद्या' या 'त्रिकालविद्या' के नाम से पुकारा जाता रहा है। कुछ लोग इसे मोहिनी और वशीकरण विद्या भी कहते हैं। अंग्रेजी में इसे हिप्नोटिज्म कहते हैं। हिप्नोटिज्म मेस्मेरिज्म का ही सुधरा रूप है। यूनानी भाषा हिप्नॉज से बना है हिप्नोटिज्म जिसका अर्थ होता है निद्रा। 'सम्मोहन' शब्द 'हिप्नोटिज्म' से कहीं ज्यादा व्यापक और सूक्ष्म है।

पहले इस विद्या का इस्तेमाल भारतीय साधु-संत सिद्धियां और मोक्ष प्राप्त करने के लिए करते थे। जब यह विद्या गलत लोगों के हाथ लगी तो उन्होंने इसके माध्यम से काला जादू और लोगों को वश में करने का रास्ता अपनाया। मध्यकाल में इस विद्या का भयानक रूप देखने को मिला। फिर यह विद्या खो-सी गई थी।

आधुनिक युग में भारत की सम्मोहन विद्या पर पश्चिमी जगत ने 18वीं शताब्दी में ध्यान दिया। भारत की इस रहस्यमय विद्या को अर्ध-विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित कराने का श्रेय सर्वप्रथम ऑस्ट्रियावासी फ्रांस मेस्मर को जाता है। बाद में 19वीं शताब्दी में डॉ. जेम्स ब्रेड ने मेस्मेर के प्रयोगों में सुधार किया और इसे एक नया नाम दिया 'हिप्नोटिज्म'।

इस विद्या का उपयोग ईसाई मिशनरियों ने ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए किया और वे आज भी कर रहे हैं। वे लोगों को बार-बार सुझाव-निर्देश देकर यह विश्वास कराने में कामयाब रहते हैं कि ईसाई धर्म ही सर्वश्रेष्ठ धर्म है। वे इसके माध्यम से गरीब मुल्कों के गरीबों में उनका इलाज कर इसे यीशु के चमत्कार से जोड़कर करते हैं। वे चंगाई सभा करके इस विद्या के माध्यम से लोगों को सम्मोहित करते हैं।

मेस्मेरिज्म क्या है : पाश्चात्य डॉक्टर फ्रेडरिक एंटन मेस्मर ने 'एनिमल मेग्नेटिज्म' का सिद्धांत प्रतिपादित करते हुए अनेक व्यक्तियों को रोगों से मुक्त किया था। उनके प्रयोगों को मेस्मेरिज्म कहा जाता है। मेस्मेरिज्म के प्रयोगों पर जांच बैठाई गई और बाद में इसे खतरनाक मानते हुए इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। 1841 में मेस्मेरिज्म के प्रयोगों में सुधार करने और उसमें निहित वैज्ञानिक तथ्यों को उद्घाटित करने और उसे हिप्नोटिज्म के रूप में परिवर्तत करने का श्रेय डॉक्टर जेम्स ब्रेड को जाता है।

क्या है सम्मोहन का दूसरा रहस्य, अगले पेज पर...


चेतन मन और अचेतन मन : हमारे मन की मुख्यतः दो अवस्थाएं (कई स्तर) होती हैं-

1. चेतन मन और 2. अवचेतन मन (आदिम आत्मचेतन मन): सम्मोहन के दौरान अवचेतन मन को जाग्रत किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति की शक्ति बढ़ जाती है लेकिन उसका उसे आभास नहीं होता, क्योंकि उस वक्त वह सम्मोहनकर्ता के निर्देशों का ही पालन कर रहा होता है।

1. चेतन मन : इसे जाग्रत मन भी मान सकते हैं। चेतन मन में रहकर ही हम दैनिक कार्यों को निपटाते हैं अर्थात खुली आंखों से हम कार्य करते हैं। विज्ञान के अनुसार मस्तिष्क का वह भाग जिसमें होने वाली क्रियाओं की जानकारी हमें होती है। यह वस्तुनिष्ठ एवं तर्क पर आधारित होता है।

2. अवचेतन मन : जो मन सपने देख रहा है वह अवचेतन मन है। इसे अर्धचेतन मन भी कहते हैं। गहरी सुसुप्ति अवस्था में भी यह मन जाग्रत रहता है। विज्ञान के अनुसार जाग्रत मस्तिष्क के परे मस्तिष्क का हिस्सा अवचेतन मन होता है। हमें इसकी जानकारी नहीं होती।

अगले पन्ने पर तीसरा रहस्य जानिए...


अवचेतन मन की शक्ति : हमारा अवचेतन मन चेतन मन की अपेक्षा अधिक याद रखता है एवं सुझावों को ग्रहण करता है। आदिम आत्मचेतन मन न तो विचार करता है और न ही निर्णय लेता है। उक्त मन का संबंध हमारे सूक्ष्म शरीर से होता है।

यह मन हमें आने वाले खतरे या उक्त खतरों से बचने के तरीके बताता है। इसे आप छठी इंद्री भी कह सकते हैं। यह मन लगातार हमारी रक्षा करता रहता है। हमें होने वाली बीमारी की यह मन 6 माह पूर्व ही सूचना दे देता है और यदि हम बीमार हैं तो यह हमें स्वस्थ रखने का प्रयास भी करता है। बौद्धिकता और अहंकार के चलते हम उक्त मन की सुनी-अनसुनी कर देते हैं। उक्त मन को साधना ही सम्मोहन है।

अवचेतन को साधने का असर : सम्मोहन द्वारा मन की एकाग्रता, वाणी का प्रभाव व दृष्टि मात्र से उपासक अपने संकल्प को पूर्ण कर लेता है। इससे विचारों का संप्रेषण (टेलीपैथिक), दूसरे के मनोभावों को ज्ञात करना, अदृश्य वस्तु या आत्मा को देखना और दूरस्थ दृश्यों को जाना जा सकता है। इसके सधने से व्यक्ति को बीमारी या रोग के होने का पूर्वाभास हो जाता है।

अगले पन्ने पर, चौथा रहस्य...


सम्मोहन के प्रकार : वैसे सम्मोहन के कई प्रकार हैं, लेकिन मुख्‍यत: 5 प्रकार माने गए हैं- 1. आत्म सम्मोहन, 2. पर सम्मोहन, 3. समूह सम्मोहन, 4. प्राणी सम्मोहन और 5. परामनोविज्ञान सम्मोहन।

1. आत्म सम्मोहन : वास्तव में सभी प्रकार के सम्मोहनों का मूल आत्म सम्मोहन ही है। इसमें व्यक्ति खुद को सुझाव या निर्देश देकर तन और मन में मनोवांछित प्रभाव डालता है।

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2. पर सम्मोहन : पर सम्मोहन का अर्थ है दूसरे को सम्मोहित करना। इसमें सम्मोहनकर्ता दूसरे व्यक्ति को सम्मोहित कर उसके मनोविकारों को दूर कर उसके व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक निर्देश दे सकता है या उसके माध्यम से लोगों को चमत्कार भी दिखा सकता है।

3. समूह सम्मोहन : किसी भीड़ या समूह को सम्मोहित करना ही समूह सम्मोहन है। माना जाता है कि यह सम्मोहन करना आसान है, क्योंकि व्यक्ति एक-दूसरे का अनुसरण करने में माहिर है। इसमें सम्मोहनकर्ता पूरी सभा या किसी निश्‍चित समूह को एक साथ सम्मोहित करने की क्षमता रखता है।

4. प्राणी सम्मोहन : पशु और पक्षियों को सम्मोहित करना ही प्राणी सम्मोहन कहलाता है। अक्सर सर्कस में रिंगमास्टर प्राणी सम्मोहन करते हैं। इसके लिए वे तीव्र विद्युत प्रकाश, बहुत शोर-शराबे, मनुष्यों की भीड़, चोट पहुंचाकर, मृत्यु होने आदि के भयों की कृत्रिम रचना करके किसी भी प्राणी या पशु-पक्षी की आंखों में आंखें डालकर देखते हैं तो वह सम्मोहित हो जाता है, हालांकि यह थोड़ा मुश्किल जरूर है।

5. परामनोविज्ञान सम्मोहन : परामनोविज्ञान का विषय बहुत ही विस्तृत है लेकिन इसकी शुरुआत सम्मोहन से ही होती है। इसके अंतर्गत किसी दूर बैठे व्यक्ति या समूह को सम्मोहित करना, अपने पूर्व जन्म के बारे में जानकारी पाना, सम्मोहित अवस्था में किसी की खोई हुई वस्तु का पता लगाना, आत्माओं से संपर्क करना, भूत, भविष्य और वर्तमान में घटने वाली घटनाओं को जान लेना आदि कार्य शामिल हैं।

इसमें व्यक्ति सम्मोहन की इतनी गहरी अवस्था में जाकर पूर्णत: ईथर माध्यम से जुड़ जाता है। यह अवस्था किसी योगी या सिद्धपुरुष से कम नहीं होती।

सम्मोहन का पांचवां रहस्य...


सुझाव या निर्देश का प्रभाव : व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिए उसकी पांचों इंद्रियों के माध्यम से उसे जो सुझाव प्रभाव, वस्तु, आवाज, सुगंधी, खाने वाली वस्तु के स्वाद, स्पर्श, आदि द्वारा दिया जा सकता है, वह देते हैं। सुझावों द्वारा व्यक्ति सम्मोहित हो जाता है।

हिन्दू धर्म में एक कहावत है- 'करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान, रसरी आवत जात है सिल पर पड़त निशान' अर्थात बार-बार प्रयास करने से बुद्धिहीन मस्तिष्क भी काम करने लगता है।

सम्मोहन में यही किया जाता है। विशेष सुझाव और निर्देश को बार-बार दोहराया जाता है। इस दोहराव से ही व्यक्ति अपने अवचेतन मन में चला जाता है और फिर वह उन सुझावों को सत्य मानने लगता है।

अगले पन्ने पर छठा रहस्य...


सम्मोहन व्यक्ति के मन की वह अवस्था है जिसमें उसका चेतन मन धीरे-धीरे निद्रा की अवस्था में चला जाता है और अर्धचेतन मन सम्मोहन की प्रक्रिया द्वारा निर्धारित कर दिया जाता है। साधारण नींद और सम्मोहन की नींद में अंतर होता है। साधारण नींद में हमारा चेतन मन अपने आप सो जाता है तथा अर्धचेतन मन जागृत हो जाता है।

सम्मोहन निद्रा में सम्मोहनकर्ता चेतन मन को सुलाकर अवचेतन को आगे लाता है और उसे सुझाव के अनुसार कार्य करने के लिए तैयार करता है। हर व्यक्ति का जीवन उसके या किसी और व्यक्ति के सुझावों पर चलता है। व्यक्ति को सम्मोहित करने के लिए उसकी पांचों इंद्रियों के माध्यम से जो प्रभाव उसके मन पर डाला जाता है उसे ही यहां सुझाव कहते हैं।

दुनिया का प्रत्येक धर्म व्यक्ति को बचपन से ही बार-बार दिए जाने वाले सुझाव और निर्देश द्वारा ही नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करता है। धर्म इसके लिए ईश्वर का भय और लालच का सहारा लेता है।

अगले पन्ने पर सातवां रहस्य, सम्मोहन सीखने से पूर्व...


सम्मोहन करने या सीखने के पूर्व : सम्मोहन करने से पूर्व सम्मोहन सीखना होगा। सम्मोहन सीखने के लिए आत्म सम्मोहन को करना होगा। आत्म सम्मोहन को करने के लिए अवचेतन मन को समझना होगा और इसे शक्तिशाली बनाना होगा।

चेतन मन से अवचेतन मन में जाकर उस मन में चेतना को जाग्रत रखना ही आत्म सम्मोहन है। जैसे कभी-कभी सपनों में आपको इस बात का भान हो जाता है कि सपने चल रहे हैं। इसका मतलब यह है कि आप चेतन और अवचेतन मन के बीच अचेतन मन में हैं। इसे अर्धचेतन मन भी कह सकते हैं।

अगले पन्ने पर आठवां रहस्य...कैसे साधें इस मन को...


कैसे साधें इस मन को :

पहला तरीका : वैसे इस मन को साधने के बहुत से तरीके या विधियां हैं, लेकिन सीधा रास्ता है कि प्राणायाम से सीधे प्रत्याहार और प्रत्याहार से धारणा को साधें। जब आपका मन स्थिर चित्त हो, एक ही दिशा में गमन करे और इसका अभ्यास गहराने लगे तब आप अपनी इंद्रियों में ऐसी शक्ति का अनुभव करने लगेंगे जिसको आम इंसान अनुभव नहीं कर सकता। इसको साधने के लिए त्राटक भी कर सकते हैं। त्राटक भी कई प्रकार से किया जाता है। ध्यान, प्राणायाम और नेत्र त्राटक द्वारा आत्म सम्मोहन की शक्ति को जगाया जा सकता है।

दूसरा तरीका : शवासन में लेट जाएं और आंखें बंद कर ध्यान करें। लगातार इसका अभ्यास करें और योग निद्रा में जाने का प्रयास करें। योग निद्रा अर्थात शरीर और चेतन मन इस अवस्था में सो जाता है लेकिन अवचेतन मन जाग्रत रहता है। समझाने के लिए कहना होगा कि शरीर और मन सो जाता है लेकिन आप जागे रहते हैं। यह जाग्रत अवस्था जब गहराने लगती है तो आप ईथर माध्‍यम से जुड़ जाते हैं और फिर खुद को निर्देश देकर कुछ भी करने की क्षमता रखते हैं।

अन्य तरीके : कुछ लोग अंगूठे को आंखों की सीध में रखकर, तो कुछ लोग स्पाइरल (सम्मोहन चक्र), कुछ लोग घड़ी के पेंडुलम को हिलाते हुए, कुछ लोग लाल बल्ब को एकटक देखते हुए और कुछ लोग मोमबत्ती को एकटक देखते हुए भी उक्त साधना को करते हैं, लेकिन यह कितना सही है यह हम नहीं जानते।

अगले पन्ने पर, नौवां रहस्य, जानिए सम्मोहन से खतरा...


सम्मोहन से नुकसान : आत्म सम्मोहन : आत्म सम्मोहन या किसी सम्मोहनकर्ता से सम्मोहित होने के खतरे और नुकसान भी हैं। सम्मोहन का चेतन मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। चेतन मन तो अवचेतन मन का गुलाम होता है।

अवचेतन मन जो सुझाव-निर्देश देता है चेतन मन उसे ही सत्य मानता है, भले ही तार्किक रूप से वह गलत हो इसलिए आत्म सम्मोहन से पहले सकारात्मक विचारों की शिक्षा लेना जरूरी है या सकारात्मक भावों और विचारों को जगाने वाली किताबें पढ़ना चाहिए और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए।

दूसरे से सम्मोहित होना : यदि व्यक्ति किसी प्रशिक्षित सम्मोहनकर्ता के बजाय अनाड़ी सम्मोहनकर्ता से सम्मोहित होता है तो इसकी कोई गारंटी नहीं कि वह क्या सुझाव या निर्देश देगा। सम्मोहन की मनोवैज्ञानिक जानकारी नहीं रखने वाला सम्मोहनकर्ता सम्मोहित व्यक्ति को ऐसे सुझाव दे सकता है, जो बाद में उसके लिए हानिकारक सिद्ध सकते हैं।

एक प्रशिक्षित सम्मोहनकर्ता सम्मोहित व्यक्ति की समस्याओं को हल करने और उसके व्यक्तित्व का उचित विकास करने का प्रयास करता है। वह एक-एक शब्द और वाक्य का उपयोग सम्मोहित व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक करता है।

सम्मोहन के फायदे, अंतिम पन्ने पर...


एक युवती हिप्नोटिज्म की गहरी अवस्था में सम्मोहनकर्ता के सामने बैठी थी। सम्मोहनकर्ता धीर-गंभीर लहजे में उसे निर्देश दे रहा था। उसने एक पेंसिल के सिरे पर रबर लगाकर कहा कि यह अंगारे की तरह दहक रहा है। यह अंगारे की तरह लाल है। फिर सम्मोहनकर्ता ने उस पेंसिल के साथ जुड़े रबर को युवती की बांह में छुआया। युवती न सिर्फ चिल्ला पड़ी, बल्कि थोड़ी देर बाद वहां छाला भी पड़ गया।

सम्मोहन के इस एक प्रयोग से पता चलता है कि 'मन' की ताकत से ही यह संसार और हमारा 'जीव' संचालित होता है। इस एक उदाहरण से ही यह भी पता चलता है कि कल्पना, विचार और भाव कितना महत्वपूर्ण होता है। इन प्रयोगों से निष्कर्ष निकलता है कि मानसिक उत्प्रेरण का परिणाम शारीरिक बदलाव में देखा जा सकता है। सम्मोहन से निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं-

1. किसी भी शारीरिक रोग को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता है।
2. किसी भी मानसिक रोग को बहुत हद तक ठीक किया जा सकता है।
3. इसके माध्यम से किसी भी प्रकार का डर या फोबिया दूर किया जा सकता है।
4. इससे व्यक्ति का विकास कर सफलता अर्जित की जा सकती है।
5. सम्मोहन से दूर बैठे किसी भी व्यक्ति की स्थिति जानी जा सकती है।
6. इसके माध्यम से शरीर से बाहर निकलकर हवा में घूमा जा सकता है।
7. इसके माध्यम से भूत, भविष्य और वर्तमान की घटनाओं को जाना जा सकता है।
8. इससे अपने पिछले जन्म को जाना जा सकता है।
9. इसके माध्यम से किसी की भी जान बचाई जा सकती है।
10. इसके माध्यम से लोगों का दु:ख-दर्द दूर किया जा सकता है।
11. इसके माध्यम से खुद की बुरी आदतों से छुटकारा पाया जा सकता है।
12. इसके माध्यम से भरपूर आत्मविश्वास और निडरता हासिल की जा सकती है। (वेबदुनिया संदर्भ)

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