Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

सत्ताईस नक्षत्रों की महिमा, पढ़ें काव्य रचना में...

हमें फॉलो करें सत्ताईस नक्षत्रों की महिमा, पढ़ें काव्य रचना में...
webdunia

सुशील कुमार शर्मा

गोचरवश
परिवर्तित होता
नक्षत्र मान।
 
चन्द्रमा पथ
सत्ताईस नक्षत्र
भ्रमण रथ।
 
अश्वनी श्रेष्ठ
गण्डमूल नक्षत्र
शांति अरिष्ट।
 
मस्तिष्क क्षेत्र
भरणी परिक्षेत्र
उग्र प्रकृति।
 
कृतिका केंद्र
व्यक्तित्व पुरुषेन्द्र
शौर्य नरेन्द्र।
 
रोहिणी ऊष्ण
चन्द्रमा सा चमके
जन्मे थे कृष्ण।
 
मधु सा मृदु
मृगशिरा नक्षत्र
कला में दक्ष।
 
आर्द्रा प्रधान
सरल संस्कारित
बुद्धि प्रदान।
 
ज्ञान संयुक्त
पुनर्वसु नक्षत्र
विद्या से युक्त।
 
अति दुर्लभ
गुरु से पुष्य योग
सिद्धि सुलभ।
 
अश्लेषा दर्प
कुण्डलनी की शक्ति
प्रवृत्ति सर्प।
 
मघा मूषक
मेहनती मुखर
बुद्धि प्रखर।
 
पूर्वा फाल्गुनी
आनंद से विश्राम
सुख के धनी।
 
बुध आदित्य
उत्तरा फाल्गुनी
जल है तत्व।
 
हस्त नक्षत्र
हनुमत प्रकटे
सुख सर्वत्र।
 
चित्रा चिन्मय
साहस से सिंचित
धैर्य वंचित।
 
स्वाति चरित्र
दया संवेदनशील
मोती सदृश्य।
 
विशाखा मित्र
सामर्थ्य प्रदर्शन
लालच लिप्त।
 
ज्येष्ठा का चित्र
पारलौकिक विद्या
परम मित्र।
 
मूल का बंध
गुप्त विद्या संबंध
जड़ प्रबंध।
 
विस्तृत सोच
पूर्वाषाढ़ा आरोग्य
ज्योतिष भोग्य।
 
उत्तराषाढ़ा
प्रफुल्लित स्वभाव
धार्मिक भाव।
 
बलि का दान
वामन भगवान
श्रवण मान।
 
धर्म में निष्ठा
धनवान धनिष्ठा
सुख का सृष्टा।
 
गुप्त रहस्य
शतभिषा भेषिज
राहु की रार।
 
दोमुंहा चित्र
पूर्व भाद्रपद का
सही चरित्र।
 
शिव संकल्प
उतरा भाद्रपद
नहीं विकल्प।
 
रेवती पुत्र
तेजस्वी प्रतिष्ठित
मान का मित्र।
 
राम का जन्म
अभिजित नक्षत्र
शरणम् मम।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ये 6 सुगंध चमत्कारिक रूप से बदल देंगी आपका भविष्य...