Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मंगल कब करता है 'अमंगल' पढ़ें एक जरूरी विश्लेषण

हमें फॉलो करें मंगल कब करता है 'अमंगल'  पढ़ें एक जरूरी विश्लेषण
आइए जानते हैं किस ग्रह के साथ मंगल का परिणाम क्या होता है, और कैसे वह शुभ-अशुभ फल देता है... पराक्रम का प्रतीक मंगल जब मेष राशि का होकर पंचम विद्या, बुद्धि, संतान, मनोरंजन, प्रेम भाव में हो तो थोड़ी इन बातों में कमी के बाद परिश्रम द्वारा सफलता मिलती है। आय भाव का स्वामी यहां से आय को देखने से आय में कमी नहीं लाता है। 
मंगल के साथ सूर्य हो तो संतान कष्ट होता है या गर्भपात की नौबत आती है। विद्या में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। चंद्र साथ हो तो मिले-जुले परिणाम मिलते हैं। बुध साथ हो तो प्रयत्नपूर्वक सफलता मिलती है। गुरु साथ होने पर गुरु का फल नगण्य सा हो जाता है। शुक्र साथ होने पर विद्या में उत्तम सफलता मिलती है। ऐसा जातक प्रेमी होता है। मिली-जुली संतान होती है। 
 
शनि साथ हो तो भाग्येश उच्च का होगा लेकिन मंगल के साथ होने से नुकसानप्रद भी बनता है। संतान आदि में बाधा रह सकती है। 
आर्थिक मामलों में उतार-चढ़ाव रहता है। ऐसी स्थिति में मुहूर्त में बनाई गई तीन धातुएँ सोना, चाँदी, ताँबा की अँगुठी मुहूर्त में धारण करने से लाभ होता है। राहु साथ होने पर संतान को कष्ट या संतान होने में देरी होती है। आयेश मंगल जब मेष राशि का होकर पंचम विद्या, बुद्धि, संतान, मनोरंजन, प्रेम भाव में हो तो थोड़ी इन बातों में कमी के बाद परिश्रम द्वारा सफलता मिलती है। आय भाव का स्वामी यहाँ से आय को देखने से आय में कमी नहीं लाता है।
 
केतु साथ हो तो गर्भपात होता है व ऑपरेशन द्वारा संतान के योग बनते हैं। मंगल षष्ठ शत्रु, रोग, कर्ज नाना- भाव में हो तो एकादशेश स्वराशि का होने से शत्रु परास्त होते हैं। कर्ज हो तो दूर होता है व नाना-मामा से लाभ रहता है। विशेष मंगल की महादशा में लाभ होता है। मंगल के साथ सूर्य हो तो प्रबल रूप से शत्रु हंता होता है। मित्रों, साझेदारों से कम ही बनती है। 
चंद्र साथ होने पर धन की बचत कम होती है। बुध साथ हो तो बाहर से लाभ मिलता है। गुरु साथ होने पर नौकरी, व्यापार आदि में स्वप्रयत्नों से लाभ रहता है। पिता से भी लाभ मिलता है। शुक्र साथ होने पर विदेश से या जन्मस्थान से दूर रहकर सफलता पाता है। 
 
शनि साथ हो तो प्रबल रूप से शत्रु नाश हो लेकिन नाना-मामा का घर ठीक न हो। नाना-मामा के लिए ऐसे जातक नुकसानप्रद रहते हैं। 
राहु साथ होने पर गुप्त शत्रुओं से परेशान रहता है व कर्ज भी हो सकता है। बवासीर के रोग संभव है। केतु साथ हो तो पशु से चोट लगती है। एकादशेश मंगल सप्तम भाव में हो तो ऐसा जातक मांगलिक होगा लेकिन उसे मंगल दोष नहीं लगता। 


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

15 मई को है शनि जयंती, पढ़ें कथा क्यों है शनिदेव के पैर में पीड़ा