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शुभ कार्यों के निमंत्रण पत्र शुभ मुहूर्त में ही लिखे जाते हैं, पढ़ें दिलचस्प जानकारी

हमें फॉलो करें शुभ कार्यों के निमंत्रण पत्र शुभ मुहूर्त में ही लिखे जाते हैं, पढ़ें दिलचस्प जानकारी
कोई भी मांगलिक कार्य हो या फिर खुशी का मौका, इन अवसरों पर अपने मिलने वालों, रिश्तेदारों व मित्रों को न्योता दिया जाता है, परंतु क्या आप जानते हैं कि निमंत्रण पत्र देने का भी एक शुभ समय होता है जिससे सभी कार्य मंगलपूर्वक संपन्न होते हैं। आइए, ज्योतिष के माध्यम से जानते हैं कौन-से मांगलिक कार्य पर हमें किस समय निमंत्रण पत्र लिखना चाहिए।
 
चन्द्रमा : * चन्द्रमा मुहूर्त के आधार हैं इसलिए जब चन्द्रमा बली हो, तब निमंत्रण पत्र लिखें। शुक्ल पक्ष की दशमी से लेकर कृष्ण पक्ष की पंचमी तक चन्द्रमा पूर्ण बली होता है। शुक्ल पक्ष की एकम से दशमी तक मध्यम बली और कृष्ण पक्ष की पंचमी से अमावस्या तक बलहीन होता है।
 
वार और तिथि : बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार श्रेष्ठ हैं। इसमें भी यदि बुधवार को द्वितीया, सप्तमी और द्वादशी हो, गुरुवार को पंचमी, दशमी या पूर्णिमा हो, शुक्रवार को तृतीया, अष्टमी तथा त्रयोदशी हो, तो अति उत्तम होता है। जिस वार को कार्य प्रारंभ करें, उस वार का ग्रह (बुध, गुरु, शुक्र) पाप ग्रहों से युत या दृष्ट न हो।
 
नक्षत्र : यदि चंद्रमा स्वा‍ति, पुनर्वसु, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, अश्विनी और हस्त में हो और पंचम भाव शुभ हो।
 
पुत्र विवाह : जिस दिन निमंत्रण देना है, उस समय की लग्न कुंडली में सप्तम भाव, द्वितीय स्थान तथा इनके स्वामी और स्त्री कारक शुक्र, शुभ प्रभाव में हो, पाप ग्रहों (शनि, राहु, केतु, सूर्य, मंगल) से यु‍ति-दृष्टि न बने। तब निमंत्रण लिखें। 
 
पुत्री-विवाह : सप्तम भाव, द्वितीय इनके स्वामी और गुरु (स्त्री के लिए गुरु पति होता है) शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो (उच्च, स्वग्रही, मित्र राशि में, शुभ नवांश में हो) तब लिखें। 
 
भवन : चतुर्थ भाव, इसका स्वामी ग्रह और मंगल शुभ प्रभाव में हो तथा बली हो, तब गृह प्रवेश का निमंत्रण लिखना चाहिए।
 
पुत्र जन्मोत्सव : पंचम भाव, उसके स्वामी और गुरु पाप प्रभाव में न हों। इन बिंदुओं के अतिरिक्त चौघड़िया आदि देखकर और गणपति का ध्यान करके ही निमंत्रण पत्र लिखें, उससे पूर्व मन में सामर्थ्य अनुसार संकल्प लें और कार्य निर्विघ्न पूर्ण होने पर उस संकल्प को पूर्ण कर लें। 

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