Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

आपने नहीं पढ़ी होगी अधिक मास की यह पौराणिक कथा

हमें फॉलो करें आपने नहीं पढ़ी होगी अधिक मास की यह पौराणिक कथा
* अधिक मास 2018 : पुरुषोत्तम मास की पौराणिक रोचक कथा
 
प्रत्येक राशि, नक्षत्र, करण व चैत्रादि बारह मासों के सभी के स्वामी है, परंतु मलमास का कोई स्वामी नही है। अत: अधिक मास में समस्त शुभ कार्य, देव कार्य तथा पितृ कार्य वर्जित माने गए है। अधिक मास यानी मलमास के पुरुषोत्तम मास बनने की बड़ी ही रोचक कथा पुराणों में दी गई है।


इस कथा के अनुसार, स्वामीविहीन होने के कारण अधिक मास को 'मलमास' कहने से उसकी बड़ी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी होकर मलमास श्रीहरि विष्णु के पास गया और उनसे दुखड़ा रोया।
 
भक्तवत्सल श्रीहरि उसे लेकर गोलोक पहुंचे, वहां श्रीकृष्ण विराजमान थे। करुणासिंधु भगवान श्रीकृष्ण ने मलमास की व्यथा जानकर उसे वरदान दिया- अब से मैं तुम्हारा स्वामी हूं। इससे मेरे सभी दिव्य गुण तुम में समाविष्ट हो जाएंगे। मैं पुरुषोत्तम के नाम से विख्यात हूं और मैं तुम्हें अपना यही नाम दे रहा हूं। आज से तुम मलमास के बजाय पुरुषोत्तम मास के नाम से जाने जाओगे। 
 
इसीलिए प्रति तीसरे वर्ष (संवत्सर) में तुम्हारे आगमन पर जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति के साथ कुछ अच्छे कार्य करेगा, उसे कई गुना पुण्य मिलेगा। इस प्रकार भगवान ने अनुपयोगी हो चुके अधिक मास/मलमास को धर्म और कर्म के लिए उपयोगी बना दिया। अत: इस दुर्लभ पुरुषोत्तम मास में स्नान, पूजन, अनुष्ठान एवं दान करने वाले को कई पुण्य फल की प्राति होती है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

वट सावित्री व्रत : किसने 100 पुत्रों की मां बनने का मांगा था वरदान