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सूर्य की राशि में मंगल और बारह राशियां

सिंह राशि पर मंगल रहेगा 7 माह 22 दिन

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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मंगल यूं तो लगभग एक माह दस दिन एक राशि पर विराजमान रहता है। लेकिन कभी-कभी इसका ठहराव किसी भी राशि पर महीनों तक रहता है। इस बार मंगल का ठहराव सिंह राशि पर 7 माह 22 दिन तक रहेगा। मंगल ग्रह 25 जनवरी 2012 तक अपनी सीधी गति से चलेगा फिर वक्री होकर 14 अप्रैल तक सिंह पर रहेगा। इसके बाद मार्गी होकर सिंह में 22 जून तक रहेगा।

वक्री ग्रह अपनी उच्च राशि में ही नीचस्थ फलदायी होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि हमेशा बुरा ही फल देगा। कोई भी ग्रह जहां वक्री रहता है वहां से एक घर पीछे का आधा फल देता है। इस बार सिंह में रहकर 2 माह 19 दिन तक आधा फल अपनी नीच राशि कर्क का देगा।

मंगल की उच्च राशि मकर है और कर्क नीच राशि है। मेष व वृश्चिक स्वराशि है तथा सिंह, धनु व मीन से इसकी मित्रता है। मंगल बुध से समभाव रखता है व इसकी शत्रुता शुक्र की राशि वृषभ, तुला व कुंभ से है। इन राशियों पर मंगल की दृष्टि बुरा असर डालती है।

मंगल सिंह में रहकर चतुर्थ दृष्टि से वृश्चिक राशि पर पूर्ण दृष्टि रखेगा। सप्तम दृष्टि शत्रु राशि कुंभ पर डालेगा, वहीं मीन राशि पर मित्र दृष्टि अष्टम पड़ेगी। जब तक मंगल वक्री रहेगा तब तक ऊर्जा, महत्वाकांक्षा बढ़ाने वाला, पुलिस, सेना, पैट्रोल, गैस, विस्फोटक पदार्थ, ज्वलनशील से चलनेवाली मशीनरी आदि पर कुछ ना कुछ विपरित प्रभाव डालेगा। प्रशासनिक अमला भी परेशान रहेगा।

विशेष पुलिस, सेना के साथ-साथ राजनेता भी राहत की सांस नहीं ले पाएंगे। राजनीतिक उठापटक चलती रहेगी। विशेष सत्तापक्ष अधिक परेशानी अनुभव करेंगे।

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सिंह का मंगल अत्यंत प्रभावशील माना गया है व इसके शुभ परिणाम ज्यादा देखने में आए है। इसका बुरा फल तभी मिलता है जब जन्मकुंडली में भी उस स्थितिनुसार हो या मंगल की दशा में मंगल का अंतर चल रहा हो। मंगल वक्री होकर सिंह में है लेकिन गुरु की पंचम दृष्टि सिंह स्थित मंगल पर पड़ने से मंगल का बुरा असर नहीं पड़ता। जब तक मंगल सिंह में रहेगा तब तक गुरु की दृष्टि में ही रहेगा अतः चिंता वाली बात नहीं रहेगी।

सिंह के मंगल का बारह राशियों पर प्रभाव :

- मेष राशि वालों का स्वामी मंगल है उसका गोचर भ्रमण पंचम से होगा। पंचम स्थान संतान, विद्या, मनोरंजन, प्रेम से संबंध रखता है। इन सब पर मंगल की कृपा रहने से शुभत्व रहेगा। वहीं गुरु की भी दृष्टि पड़ने से वक्री के समय अशुभ प्रभाव से बचाएगा। गुरु मेष राशि पर है अतः भावेश-भावाम: के तहत मंगल ने दोहरा प्रभाव गुरु का ग्रहण किया है, इस प्रकार देखा जाए तो मंगल का अशुभ प्रभाव निष्क्रिय रहेगा।

- वृषभ राशि वालों के लिए मंगल द्वादशेश व सप्तमेश होकर चतुर्थ भाव माता, भूमि, भवन, जनता से संबंधित मामलों में सुधार लाएगा।

- मिथुन राशिवालों के लिए एकादशेश व षष्टेश होकर पराक्रम भाव तृतीय से भ्रमण करने से पराक्रम द्वारा सफलता के नए सोपान देगा। छोटे भाईयों से मदद मिलेगी वहीं मित्र भी साथ देंगे। भाग्य पर विपरीत प्रभाव डालेगा क्योंकि वहां कुंभ राशि है, लेकिन दशम भाव पर शुभ फलदायी रहेगा वहां गुरु की राशि मीन है।

- कर्क राशिवालों के लिए मंगल पंचमेश व दशमेश होकर द्वितीय भाव (धन) से गोचरीय भ्रमण करने से वाणी द्वारा सफलतादायक होगा, कुटुंब से सहयोग भी रहेगा। आयु पर संकट डालेगा लेकिन गुरु का मंगल पर अधिकार होने से प्रभावहीन होगा। भाग्य पर मित्र-दृष्टि डालने से भाग्य में वृद्धि का कारक रहेगा। वक्री स्थिति में गुरु का साथ होने से मंगल प्रभावशाली न होकर शांत रहेगा।

- सिंह राशिवालों के लिए मंगल चतुर्थ व नवम (भाग्य-सुख) का स्वामी होकर लग्न से भ्रमण करने से इन दोनों को प्रभावशाली बनाएगा। रूके कार्य पूरे करने में सहयोगी होगा। गुरु का भाग्य से भ्रमण करने व मंगल पर पंचम दृष्टि होने से गुरु का प्रभाव रहेगा। वक्री होने पर भी अशुभ नहीं होगा।

- कन्या राशिवालों के लिए मंगल तृतीयेश व अष्टमेश होकर द्वादश भाव से भ्रमण करने से मंगल का शुभ परिणाम नहीं मिलेगा अशुभता को बढ़ाने वाला होगा। बाहरी मामलों में थोड़ा सहायक होगा।

- तुला राशिवालों के लिए मंगल सप्तमेश व द्वितीयेश होने के कारण दांपत्य जीवन पर मिला-जुला असर डालेगा। वहीं गुरु की कृपा से अशुभता में कमी आएगी।

- वृश्चिक राशिवालों के लिए लग्न व षष्ट भाव का स्वामी होकर दशम भाव से गोचर भ्रमण करने से व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि कारक रहेगा। नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए भी लाभकारी रहेगा। वक्री स्थिति में गुरु की दृष्टि मंगल पर होने से राहत देगा।

- धनु राशिवालों के लिए द्वादशेश व पंचमेश होकर भाग्य से भ्रमण करने से भाग्य में वृद्धि के साथ धर्म-कर्म में आस्था का संचार करेगा। कई महत्वपूर्ण कार्य में सफलताकारक होगा। वक्री ग्रह मेहनत अधिक कराता है लेकिन फल शुभ ही देता है।

- मकर राशिवालों के लिए मंगल चतुर्थ व एकादश भाव का स्वामी होकर अष्टम भाव से गोचर भ्रमण करने से शुभ फल न देकर अशुभ परिणाम देनेवाला होगा। अष्टम से गोचर भ्रमण ठीक नहीं होता। माता को कष्ट, मकान भूमि से हानि, जनता के बीच अपयश मिलता है। गुरु का गोचर भ्रमण सुख व माता के कष्टों में कमी लाएगा।

- कुंभ राशिवालों के लिए तृतीयेश व दशमेश होकर सप्तम भाव से गोचर भ्रमण करने से दांपत्य जीवन में मिली-जुली स्थिति का कारक होगा, दैनिक व्यापार-व्यवसाय में भी राहत का कारण बनेगा।

- मीन राशिवालों के लिए मंगल धन द्वितीय व भाग्य का स्वामी होकर षष्ट भाव से भ्रमण करने से कुटुंब से परेशानी का कारण बन सकता है। आर्थिक बचत कम होगी, भाग्येश पर स्वदृष्टि होने से राहत भी देगा। मंगल का अशुभ परिणाम तभी मिलेगा जब जन्म के समय अशुभ स्थान पर हो व उसकी दशा-अंतर्दशा चल रही हो। गुरु की मंगल पर पंचम दृष्टि पड़ने से मंगल का अशुभ प्रभाव कम ही रहेगा।

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