Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

84 महादेव : श्री शूलेश्वर महादेव(51)

हमें फॉलो करें 84 महादेव : श्री शूलेश्वर महादेव(51)
काफी समय पहले दैत्यों और देवताओं में युद्ध हुआ। दैत्यों के स्वामी जंभ और इंद्र के बीच वर्षों तक युद्ध चला। जिसमें दैत्य विजयी हुए और अंधकासुर ने स्वर्ग पर शासन शुरू कर दिया। एक दिन अंधकासुर का एक दूत कैलाश पर्वत पहुंचा और भगवान शिव से कहा कि अंधकासुर ने कहा है कि तुम कैलाश छोड़ दो और पार्वती को उसके पास भेज दो। इस पर शिव ने दूत से कहा कि वह अंधकासुर से कहे कि वह यहां आकर युद्ध करे और शिव को हराकर पार्वती को ले जाए। यह सुनकर अंधकासुर अपनी सेना के साथ कैलाश पहुंच गया।

शिव ने शूल से प्रहार कर अंधकासुर को घायल कर दिया और पाताल तक घुमाया। अंधकासुर के रक्त से उसके जैसे कई दानव उत्पन्न होने लगे। तब शिव ने अपनी शक्ति से महादुर्गा को प्रकट किया और दुर्गा ने अंधकासुर का वध किया। आखिरकार अंधकासुर ने भगवान शिव की उपासना की। भगवान शिव ने उसे महाकाल वन में पृथुकेश्वर महादेव के पूर्व में स्थित शिवलिंग की उपासना करने के लिए कहा।
शूल से मृत्यु प्राप्त होने के कारण शिवलिंग का नाम शूलेश्वर विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो भी मनुष्य शूलेश्वर के दर्शन कर पूजन करता है वह सभी प्रकार के भय और दुखों से मुक्त होता है और अंतकाल में परमपद को प्राप्त होता है।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi